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काल भैरव पर भी लगा था दोष, बितानी पड़ी थी भिखारी की जिंदगी

पुराणों के अनुसार काल भैरव शिव जी का ही अंश हैं, उन्हें देवी दुर्गा का रक्षक माना जाता है।

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काल भैरव पर भी लगा था दोष, बितानी पड़ी थी भिखारी की जिंदगी

नई दिल्ली।काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। शिव जी ने क्रोध में आकर उन्हें जन्म दिया था। इसलिए काल भैरव का स्वरूप विकराल एवं क्रोधी है। काल भैरव के एक हाथ में छड़ी होती हैं और उनका वाहन काला कुत्ता होता है।

1.काल भैरव को उनके तेज एवं गुस्सैल रूप के लिए जाना जाता है। उन्हें तंत्र का देवता भी माना जाता है। यदि आप काल भैरव की पूजा करते हैं तो आप पर किसी की ओर से की गई तांत्रिक क्रियाएं सफल नहीं होंगी। आप पर किसी भी टोने-टोटके का असर नहीं होगा।

2.काल भैरव की पूजा से भूत—प्रेत बाधाओं से भी छुटकारा मिलता हैं अगर किसी व्यक्ति के शरीर पर किसी प्रेत आत्मा या नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है तो काल भैरव की पूजा से इस समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

3.चूंकि काल भैरव शिव जी का ही अंश है इसलिए वो उनका अपमान सहन नहीं कर सकते थे। एक बार उन्होंने शिव के अपमान का बदला लेने के लिए ब्रम्ह देव के पांच मुखों में से एक काट दिया था। पुराणों के अनुसार ऐसा कने पर काल भैरव पर ब्रम्ह हत्या का दोष लगा था। जिसके चलते उन्हें कुछ समय भिखारी बनकर रहना पड़ा था।

4.हालांकि काल भैरव के पश्चाताप के बाद उन्हें दोष से छुटकारा मिल गया। उन्हें एक प्रभावशाली देवता माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा करने से लोगों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। अगर भैरव अष्टमी को उनकी आराधना की जाए तो जयादा शुभ लाभ मिलते हैंं

5.काल भैरव की पूजा से कचहरी व मुकदमेबाजी से भी निजात मिलती है। यदि आप सच्चे मन से काल भैरव की पूजा करते हैं तो सालों से चला आ रहा केस जल्द ही निपट जाएगा।

6.काल भैरव की आराधना करने से जीवन में कभी कठिनाइयां नहीं आती। बड़ी से बड़ी समस्या भी आसानी से हल हो जाती है

7.काल भैरव की पूजा एवं उनके मंत्र के जप से आपकी कुंडली में मौजूद दोष दूर हो सकते हैं। इसमें मुख्यत: मंगल दोष, राहू-केतु दोष एवं काल सर्प दोष शामिल है।

9.शिव जी के रूप के अतिरिक्त काल भैरव को मां दुर्गा का रक्षक भी माना जाता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा के दर्शन के बाद यदि काल भैरव के दर्शन न किए जाए तो तीर्थ यात्रा अधूरी रहती है। इसलिए मां के सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक वैष्णों देवी मंदिर में लौटते समय भैरव बाबा के दर्शन जरूरी होते हैं।

10.काल भैरव की पूजा मध्यरात्रि में 12 बजे से की जाती है। इसके बाद दूसरे दिन ब्रम्ह्मूर्त में उठकर स्नान के बाद काल भैरव पर मृतक की भस्म चढ़ाई जाती है। फिर उनकी कथा पढ़ी जाती है। अंत में किसी काले कुत्ते को भोजन देना चाहिए।