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तो इस वजह से नहीं होते भगवान जगन्नाथ के हाथ-पैर के पंजे, जानें ऐसी ही 10 रोचक बातें

Puri Jagannath Rath Yatra : नारियल की लकड़ी से बने होते हैं भगवान जगन्नाथ के रथ, इसके निर्माण में किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में श्रीकृष्ण की अस्थियां रखी गई हैं, पुराणों में है जिक्र

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तो इस वजह से नहीं होते भगवान जगन्नाथ के हाथ-पैर के पंजे, जानें ऐसी ही 10 रोचक बातें

नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा की शुरूआत आज से हो गई है। भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ अपनी रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण को निकले हैं। तीन किलोमीटर की इस यात्रा में तमाम भक्त शामिल होने पहुंचे हैं। इस मौके पर हम आपको भगवान जगन्नाथ से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बाते बताएंगे, जिनमें उनके हाथ-पैर के पंजों के अधूरे होने की वजह तक शामिल है।

1.जगन्नाथ मंदिर में विराजमान मूर्तियां काफी रहस्यमयी हैं। बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा किसी के भी हाथ और पैर के पंजे नहीं है। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान की मूर्ति का कार्य विश्वकर्मा कर रहे थे। मगर उनकी शर्त थी कि उनके काम में कोई बाधा न डालें वरना वे काम रोक देंगे। मूर्तियों को देखने की चाहत में वहां के राजा ने दरवाजा खोल दिया। ऐसे में मूर्ति के निर्माण का कार्य अधूरा रह गया। इसी के चलते तीनों मूर्तियों के हाथ और पैर के पंजे नहीं है।

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2.बताया जाता है भगवान जगन्नाथ समेत उनके भाई-बहन की मूर्तियों का निर्माण नीम की लकड़ियों से किया गया है। इन्हें शुद्ध माना जाता है।

3.भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाओं के अलावा उनके रथ भी बेहद खास है। इन्हें नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है क्योंकि ये हल्की होती हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। ये शुभता का प्रतीक है।

4.भगवान जगन्नाथ के रथ को चार घोड़े खींचते हैं। इनका नाम शंख, बलाहक, श्वेत एवं हरिदाशव है। ये ये सफेद रंग के होते हैं। जबकि रथ के रक्षक पक्षीराज गरुड़ होते हैं।

5.रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उसे शंखचूड़ के नाम से जाना जाता है। रथ में एक विजय पताका के तौर पर ध्वजा भी फहराई जाती है। इसे त्रिलोक्यवाहिनी कहते हैं।

6.रथयात्रा के लिए तैयार किए जाने वाले रथों की खासियत है कि जिन रथों का निर्माण किया जाता है उनमें किसी तरह की धातु का इस्तेमाल भी नहीं होता।

7.जगन्नाथ मंदिर का निर्माण आज 1000 साल पहले हुआ था। जबकि यहां स्थापित प्रतिमाएं हर 14 साल में बदली जाती हैं।

8.मालवा जगन्नाथ की मूर्ति का निर्माण राजा नरेश इंद्रद्युम्न ने कराया था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे।

9.पुराणों के अनुसार भगवान ने राजा को स्वप्न में आकर उन्हें मूर्तियों के निर्माण का आदेश दिया था। स्वप्न में कहा गया कि श्रीकृष्ण नदी में समा गए हैं और उनके विलाप में बलराम और बहन सुभद्रा ने भी अपने प्राण त्याग दिए है। उनके शवों की अस्थियां उसी नदी में पड़ी हैं।

10.भगवान के आदेशानुसार राजा ने नदी से अस्थियां बंटोरी और मूर्तियों के निर्माण के बाद प्रत्येक प्रतिमा में इसका थोड़ा-थोड़ा अंश रख दिया था।