1.शनिदेव का ये अद्भुत मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से करीब 15 किलोमीटर दूर करियामा गांव में स्थित है। यहां का रास्ता थोड़ा मुश्किल-भरा है। क्योंकि इस मंदिर तक कच्चा और पथरीला रास्ता जाता है।
2.इस मंदिर में शनिदेव की मूर्ति उनकी पत्नी के साथ स्थापित है। ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां शनिदेव के साथ उनकी अर्धांगिनी भी मौजूद है। 3.बताया जाता है कि इस मंदिर में रखी मूर्ति की खोज महाभारत काल में हुई थी। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार मूर्ति की महत्ता को देखकर लोग यहां सरसों का तेल चढ़ाते हैं।
4.मूर्ति पर ज्यादा तेल चढ़ाने से इसकी परत जम गई थी, तब एक दिन इसकी सफाई की तब शनि देव के साथ उनकी पत्नी की मूर्ति भी दिखाई दी। 5.इस मंदिर की महिमा के चलते दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां अपनी मन की बात कहता है, उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
6.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी। बताया जाता है कि पांडवों ने वनवास काल के दौरान अपना कुछ समय भोरमदेव के जंगलों में बिताया था। तभी उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया था।
8.शनि देव के प्रमुख धाम शनि शिंगणापुर की तरह इस मंदिर में भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां महिलाएं एवं पुरुष दोनों को ही पूजन का समान अधिकार प्राप्त है। 9.मान्यता है कि जो भी दंपत्ति इस मंदिर में दर्शन करने आता है उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय रहता है। साथ ही अगर किसी की शादी नहीं हो रही होती है तब भी यहां माथा टेकने से लोगों के काम बन जाते हैं।
10.ये मंदिर इतना चमत्कारिक है कि यहां दर्शन करने मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही यहां तेलाभिषेक करने से शनि की साढ़े साती एवं महादशा में राहत मिलती है।