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लक्ष्मण जी के बाद इस सेठ ने बदली थी पुल की काया, लक्ष्मण झूले से जुड़ी ये 10 बातें जानकर आप भी होंगे हैरान

laxman jhula history : कलकत्ते के सेठ ने स्वामी विशुद्धानंद की प्रेरणा से लक्ष्मण झूले का निर्माण कराया था लक्ष्मण झूला पहले जूट की रस्सियों का बना हुआ था, इसे टोकरी के जरिए पार किया जाता था

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Soma Roy

Jul 13, 2019

laxman jhula

लक्ष्मण जी के बाद इस सेठ ने बदली थी पुल की काया, लक्ष्मण झूले से जुड़ी ये 10 बातें जानकर आप भी होंगे हैरान

नई दिल्ली। ऋषिकेश में गंगा नदी पर बने लक्ष्मण झूले को उसकी खस्ता हालत के लिए बंद कर दिया गया है। प्रशासन के मुताबिक पुल ( The Bridge )के जर्जर होने और इससे लोगों को होने वाले खतरे के चलते इस पर जाने से अस्थायी तौर पर रोक लगा दी गई है। आंकड़ों के मुताबिक ये पुल करीब 89 साल पुराना है। जबकि पुराणों के अनुसार लक्ष्मण झूले का निर्माण त्रेता युग में हुआ था। तो क्या है पुल से जुड़े तथ्य आइए जानते हैं।

1.पुराणों एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार लक्ष्मण झूले का निर्माण प्रभु श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने किया था। इस पुल को त्रेता युग में बनाया गया था। लक्ष्मण जी ने जूट की रस्सियों से ये पुल तैयार किया था। इसी पर चलकर उन्होंने गंगा नदी को पार किया था।

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2.मान्यता है कि भगवान राम ने इस पुल पर कदम रखकर इसे पवित्र बना दिया था। तभी इस पर से गुजरने वाले लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती थी।

3.लक्ष्मण पुल को पार करने पर दो रास्ते आते हैं। बाईं ओर पैदल रास्ता है। जबकि दाईं ओर बदरीनाथ और स्वर्गाश्रम है। पुल के पश्चिमी किनारे पर लक्ष्मण जी का मंदिर भी है।

4.स्कंद पुराण के अनुसार लक्ष्मण झूले के नीचे इंद्रकुंड भी बना है। हालांकि अब ये प्रत्यक्ष तौर पर नहीं दिखता है।

5.लक्ष्मण जी के इस पुल को सन् 1889 में कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने दोबारा बनवाया था। उन्होंने जूट की रस्सियों की जगह लोहे के मजबूत तारों का उपयोग किया था। सेठ ने इस पुल का पुनर्निमाण स्वामी विशुद्धानंद की प्रेरणा से किया था।

6.बताया जाता है कि लक्ष्मण जी की ओर से बनाया गया ये पुल पहले दूसरी तरह का दिखता था। इस पर चलने के लिए पट्टियां नहीं थी। बल्कि इसमें एक टोकरी लगाकर इसे दूसरे छोर पर पहुंचाया जाता था। मगर बाद में सेठ सूरजमल के निर्माण काल में इसे पैदल चलने योग्य बनाया गया था।

7.बताया जाता है कि सेठ सूरजमल की ओर से बनाया गया पुल लोहे से बना होने के चलते मजबूत था। मगर गंगा नदी की उफनाती लहरों के बीच ये ज्यादा समय तक नहीं टिक सका और सन् 1924 की बाढ़ में लक्ष्मण झूला बह गया था।

8.बाद में सन् 1930 में ब्रिटिश सरकार ने लक्ष्मण झूले का दोबारा निर्माण कराया था। उन्होंने इसे आकर्षक स्वरूप दिया था। अंग्रेजों ने इस पुल की नींव सन् 1927 में रखी थी। इसे बनने में तीन साल का वक्त लगा था।

9.गंगा नदी के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लम्बा है। इसकी खासियत है कि ये हमेश झूलता रहता है।

10.मालूम हो कि लक्ष्मण झूला करीब 89 साल पुराना है। ऐसे में इसकी स्थिति बिल्कुल दयनीय हो गई है। इसका एक हिस्सा झुक गया है। पुल के गिरने के खतरे को देखते हुए इस पर आवाजाही रोक दी गई है।