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सुभाष चंद्र जयंती : भगत सिंह के चलते नेताजी और गांधी जी के बीच पड़ी थी दरार, जानें ऐसी 10 बातें

Subhash Chandra Bose Jayanti : नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था सुभाष चंद्र बोस पढ़ाई में होशियार थे, उन्होंने यूनिवर्सिटी में दूसरा स्थान हासिल किया था

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Subhash Chandra Bose Jayanti

Subhash Chandra Bose Jayanti

नई दिल्ली। "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" नारे से अंग्रेजों (Britishers) की नींव हिलाने वाले देशभक्त् नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस (subhash chandra bose) को अपने तेज और स्पष्ट रवैये की वजह से जाना जाता है। उन्हें नेताजी (netaji) के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको उनसे जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे।

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1.सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। वे बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहे हैं।

2.नेता जी की शुरुआती पढ़ाई कटक से हुई। बाद में उन्होंने आगे की पढ़ाई कलकत्ता यूनिवर्सिटी से की और विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान हासिल किया।

3.सुभाष चंद्र बोस के पिता वकील थे। उनका नाम जानकीनाथ बोस है और मां का नाम प्रभावती है।

4.नेताजी को उनके पिता आईएएस बनाना चाहते थे पर उन्हें अंग्रेजों की गुलामी करना नामंजूर था। ऐसे में वे साल 1921 में महात्मा गांधी से मिलने चले गए।

5.राष्ट्रपिता से नेताजी की वो पहली मुलाकात थी। उन्होंने ही सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था।

6.गांधी जी और सुभाष चंद्र बोस दोनों ही देश सेवा कर रहे थे। उनके देशप्रेम को देख गांधी जी भी उनसे काफी प्रभावित थे। मगर भगत सिंह की फांसी के बाद दोनों के रिश्तों में दरार पड़ गई थी।

7.नेताजी चाहते थे कि महात्मा गांधी भगत सिंह की फांसी रुकवाने के लिए पहल करें। जबकि गांधी जी हिंसा को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं थे।

8.देशभक्ति के अलावा सुभाष चंद्र बोस जन कल्याण के लिए भी जाने जाते थे। इसलिए उन्होंने साल 1922 में बंगाल में आई भयंकर बाढ़ से घिरे लोगों की काफी मदद की थी। इसी बीच उन्होंने युवक दल की भी स्थापना की थी।

9.नेताजी ने लोगों को स्वतंत्रा संग्राम से जोड़ने के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। मिशन को सफल बनानो के लिए वे रेडियो का इस्तेमाल करते थे।

10.नेताजी ने एक महिला बटालियन जिसे रानी झांसी रेजिमेंट नाम दिया गया, इसका भी गठन किया था। इस बटालियन की कैप्टन लक्ष्मी सहगल थीं।