क्वारंटीन से 12 जमाती फरार, दो लोग खिड़की तोड़कर भागे 1.तबलीगी जमात के मुखिया का पूरा नाम मौलाना साद कंधालवी है। वह 56 साल का है। उसका जन्म 10 मई सन 1965 में हुआ था।
2.साद, मौलाना मोहम्मद इलियाज़ का पोता है। उन्होंने ही तबलीगी जमात की स्थापना की थी। उनके गुजरने के बाद से गद्दी के लिए कई लोगों ने दावेदारी पेश की थी। मगर मौलाना साद ने सबको दरकिनार कर खुद गद्दी पर काबिज़ हो गया।
3.साद, सेंट्रल कंसल्टेटिव काउंसिल यानी शूरा का भी सदस्य रहा है। यह भी तबलीगी जमात का ही एक हिस्सा है। मुखिया बनने से पहले साद इससे करीब 20 साल तक जुड़ा रहा था। 4.मौलाना साद को अपने हुकूमत में किसी का दखल पसंद नहीं है। तभी शूरा कमेटी की ओर से तबलीगी जमात का नया मुखिया चुनने को लेकर उनका दिया गया प्रस्ताव उसे पसंद नहीं आया। ऐसे में उसने 16 नवंबर 2015 में खुद ही तबलीगी जमात का मुख्यिा होने का ऐलान कर दिया।
5.साद दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन बस्ती में रहता है। उसके तीन बेटे और बेटियां हैं।
लग्जरी लाइफ जीने वाला मौलाना साद हुआ अंडरग्राउंड, करोड़ों के फार्महाउस का हुआ खुलासा 6.मौलाना साद को लग्जरी लाइफ का काफी शौक है। तभी उसकी कई प्रॉपर्टीज भी है। उसका एक घर दिल्ली के जाकिर नगर में और दूसरा यूपी के कंधाला में स्थित है। उसके फार्म हाउस में भी कई लग्जरी गाड़ियां मौजूद हैं।
7.साद ने मौलवियत की तालीम मदरसा कासिफ—उल—उलूम से हासिल की है, ये मरकज का ही एक हिस्सा है। 8.तबलीगी जमात के दुनियाभर में लगभग 100 करोड़ फॉलोअर्स है। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक मौलाना साद को युवा पीढ़ि काफी मानती है। तभी उसकी बातों पर वे तुरंत अमल करने लगते हैं।
9.रिपोर्ट के मुताबिक तबलीगी जमात के मुखिया के तौर पर मौलाना साद इस्लामिक बातों का प्रचार करता था। इसी बहाने वह अप्रत्यक्ष तौर पर लोगों को भड़काने की कोशिश करता था। उसके शिकार महज भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है।
10.मौलाना साद को उसके उग्र बर्ताव के लिए जाना जाता है। तभी कई बार उसके खिलाफ इस्लामिक धर्मगुरुओं ने फतवा भी जारी किया है। साउथ अफ्रीका के मुफ्ती इब्राहिम देसाई ने साद के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े किए थे। साथ ही अपनी वेबसाइट अक्सक्लमाम में फतवे की कॉपी भी पोस्ट की थी।