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किन्नरों से जुड़ी ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, साल में एक बार शादी कर अगले ही दिन हो जाती हैं विधवा

transgender protection of rights bill : ट्रांसजेंडर्स प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स विधेयक को मिली कैबिनेट में मंजूरी, भीख मांगना नहीं है अपराध किन्नरों की शव यात्रा रात के समय निकाली जाती है, दूसरे लोगों का इसे देखना वर्जित होता है

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किन्नरों से जुड़ी ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, साल में एक बार शादी कर अगले ही दिन हो जाती हैं विधवा

नई दिल्ली। ट्रांसजेंडर यानि किन्नरों की दुनिया आम लोगों से बिल्कुल अलग होती है। समाज में उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिलता है। इसके चलते उन्हें रोजगार( employment )में भी दिक्कतें आती हैं। वे भीख मांगने को मजबूर हैं। अभी तक कानून में इसे एक अपराध माना जाता था। मगर किन्नरों की मजबूरी को देख‘ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) विधेयक , 2019 के विवदित प्रावधान को हटा लिया गया है। इस विधेयक ( bill ) को केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दी गई है। अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। इसी मौके पर हम आपको किन्नरों से जुड़ी कुछ ऐसी अनोखी परंपराओं के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे।

1.किन्नरों से आम लोग बेहद ही कम शादी करते हैं, इसलिए इनके समाज ने एक अलग ही परंपरा बनाई हुई है। किन्नरों की परंपरा के मुताबिक इनकी शादी साल में एक बार होती है और इसके अगले ही दिन वो विधवा हो जाती हैं। परंपरा के अनुसार एक किन्नर का विवाह उनके कुलदेवता इरावन से होती है।

2.मालूम हो कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा में एक राजकुमार की बलि देने का निर्णय लिया था। इसके लिए इरावन तैयार हो गया था मगर उसकी शर्त थी कि वो बिना विवाह के इस कार्य को पूरा नहीं करेगा। चूंकि इरावन की मृत्यु होने वाली थी ऐसे में कोई भी लड़की उससे विवाह नहीं करना चाहती थी। तब श्रीकृष्ण ने मोहिनी बनकर इरावन से शादी की थी।

3.बताया जाता है कि किन्नर समाज में शादी समारोह को बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है। साथ ही इरावन की मूर्ति के साथ जुलूस भी निकालते हैं। विवाह संपन्न होने के अगले ही दिन किन्नर श्रृंगार उतारकर विधवा की तरह शोक मनाते हैं और सफेद कपड़े पहनते हैं।

4.किन्नरों की शादी के अलावा उनकी मृत्यु से जुड़े तथ्य भी बेहद रोचक हैं। कहते हैं कि किन्नरों में किसी की मृत्यु होने पर शोक मनाने की जगह खुशियां मनाते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि मृत्यु से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।

5.किन्नरों के अंतिम संस्कार को गुप्त रखा जाता है। अंतिम यात्रा दिन की जगह रात में निकाली जाती है। मान्यता है कि इनकी शव यात्रा देखना अशुभ होता है। किन्नर नहीं चाहते हैं कि अगले जन्म में दूसरा इंसान उनकी तरह जन्म ले।

6.किन्नरों की शव यात्रा से जुड़ी एक परंपरा के तहत अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है। इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है।

7.किन्नरों में शव को जलाने की जगह दफनाया जाता है। इसके अलावा समुदाय में किसी की मौत होने पर वे अगले एक हफ्ते तक खाना नहीं खाते हैं।

9.किन्नरों की ज्यादातर परम्पराएं हिन्दू धर्म के मुताबिक निभाई जाती हैं, लेकिन उनके ज्यादातर गुरू मुस्लिम समुदाय के होते हैं।

10.किन्नर समुदाय की परंपरा के तहत उन्हें सुबह 6 बजे उठना होता है। इसके बाद नित्यकर्म करके उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए घर से निकल जाना होता है।