
तो इस वजह से हवन के समय बोला जाता है स्वाहा
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कोई भी अनुष्ठान या शुभ कार्य बिना हवन के पूरा नहीं होता है। मगर क्या आपको पता है हवन के समय हमेशा ॐ और स्वाहा ही क्यों बोला जाता है। आज हम आपको इसके महत्व के बारे में बताएंगे।
1.हिंदू शास्त्रों के मुताबिक हवन में मंत्र की शुरुआत हमेशा ॐ से होती है क्योंकि इसे श्रृष्टि का सार माना जाता है। कहते हैं कि इस अक्षर में ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश तीनों के गुण मिले हुए होते हैं।
2.ॐ में तीन अर्थ छिपे हुए है। जिनमें राज, सत और तम शामिल है। चूंकि भगवानों में सबसे पहले गणेश जी को पूजा जाता है, इसलिए माना जाता है कि ॐ में भगवान गणेश समाहित हैं।
3.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ॐ में गणेश जी के सारे गुण समाहित होते हैं, इसलिए माना जाता है कि हर मंत्र के जप से सबसे पहला ध्यान गणेश जी का किया जाता है।
4.चूंकि ॐ शब्द में संसार का पूरा रहस्य छिपा हुआ है, इसलिए माना जाता है कि इसके उच्चारण से हवन का लाभ सभी को होता है। ये न सिर्फ वातावारण को शुद्ध करता है, बल्कि मन में भी सकारात्मक भाव जगाता है।
5.वहीं हवन के अंत में स्वाहा शब्द बोला जाता है। क्योंकि मान्यता है देवी-देवताओं को अर्पण किया जाने वाला भोग अग्नि के जरिए ही उन तक पहुंचाया जा सकता है।
6.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी-देवताओं को अग्नि के जरिए भोजन पहुंचाने की प्रथा की शुरुआत कई अरसे पहले हुई थी। इसके तहत एक बार देवताओं को अन्न की कमी हो गई थी। तब वे इसके निवारण के लिए ब्रम्ह देव के पास गए थे।
7.समस्या को सुलझाने के लिए ब्रम्ह देव ने प्रकृति का ध्यान किया और उनसे अग्नि देव से विवाह करने की प्रार्थना की। देव कल्याण के लिए देवी स्वाहा ने अग्नि देव से विवाह कर लिया।
9.माना जाता है कि देवी स्वाहा के प्रभाव से ही अग्नि देव को यज्ञ में शक्ति मिलती है। उनकी इसी महिमा के चलते यज्ञ तब तक पूरा नहीं होता है जब तक देवी स्वाहा का नाम न लिया जाए।
10.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यज्ञ में हवन सामग्री के साथ खीर, पूड़ी एवं नारियल आदि चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि हवन में इन चीजों को अग्नि देव को समर्पित करने से ये भोजन सीधे देवताओं तक पहुंचता है।
Published on:
21 Dec 2018 12:19 pm
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