विकास को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रोत्साहन को लेकर वित्त मंत्रालय व प्रधानमंत्री कार्यालय के बीतचीत के बीच एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पास वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए सीमित गुंजाइश है। वहीं आरबीआई अगर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती भी करती है तो उससे भी देश की इकोनॉमी को कोई फायदा नहीं होगा।
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कोटक की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
पीएम मोदी और वित्त मंत्री के बीच हुई बैठक के बाद कोटक की रिपोर्ट आई है। जिसमें साफ कहा गया है कि देश की इकोनॉमी किस राह पर है। साथ सरकार और आरबीआई के फैसले भी इकोनॉमी को बूस्ट करने में नाकामयाब साबित होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई नीतिगत दरों में 15-40 बीपीएस की कटौती कर सकता है, लेकिन यह आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।” आपको बता दें कि पिछले छह महीने में आरबीआई नीतिगत दरों में 110 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर चुका है। साथ आर्थिक विकास दर को भी गिरा रहा है। बीती नीतिगत बैठक में आरबीआई आर्थिक विकास दर को 7 फीसदी से नीचे लेकर आ गया है।
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वित्तीय प्रोत्साहन भी नहीं आएगा काम
कोटक रिपोर्ट में कहा यह भी गया है कि सरकार के पास आर्थिक बाधाओं को देखते हुए वित्तीय प्रोत्साहन देने की सीमित गुंजाइश है। इसने वित्तवर्ष 2020 बजट के लिए समान रूप से कर को बढ़ाया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूद निवेश इनपुट के अनुसार समग्र बाजार मूल्यांकन पेशकश काफी कम है। मतलब साफ है कि अगर सरकार वित्तीय प्रोत्साहन भी देती है तो देश की इकोनॉमी को बूस्ट कम ही मिलेगा। वैसे बाजार में इस खबर से थोड़ा सुधार आया है कि सरकार इंडिया इंक के लिए प्रोत्साहन पैकेज पर काम कर रही है और फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) के कर में सुधार कर सकती है।
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5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाना है सरकार का लक्ष्य
देश की वित्त बजट में और देश के प्रधानमंत्री लालकिले प्राचीर से अगले पांच सालों में देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन बनाने की बात कह चुके हैं। वहीं जानकारों को मौजूदा समय की आर्थिक स्थिति देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है। वास्तव में सरकार के इकोनॉमिक सर्वे में साफ कहा गया है कि देश को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने के लिए प्रति वर्ष 8 फीसदी की औसतन विकास दर की जरुरत है। जिस तरह की इकोनॉमी चल रही है उसका 8 फीसदी तक पहुंचना मुश्किल ही लग रहा है।
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