दरअसल, गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी की लॉ ग्रेजुएट रितिका प्रसाद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि उन्होंने पांच साल के बीए एलएलबी कोर्स (BA LLB Course) में दाखिला लिया था। कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें जो डिग्री दी गई उसमें केवल पिता का नाम लिखा था, माता का नहीं। इसी से नाराज छात्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की। रितिका का कहना था कि डिग्री में माता और पिता दोनों का नाम होना चाहिए।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि प्रमाण-पत्रों पर मुख्य भाग में माता-पिता दोनों का नाम अनिवार्य रूप से अंकित होना चाहिए। इसमें किसी प्रकार की बहस की जरूरत नहीं है। ये मामला एक बड़ा सामाजिक महत्व का मुद्दा है। इस संबंध में यूजीसी ने 6 जून 2014 को एक सर्कुलर जारी किया था लेकिन इसकी अनदेखी की गई। कोर्ट ने इस पर भी खेद जताया है।
यूनिवर्सिटी को कोर्ट का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को 15 दिन का समय दिया है और कहा है कि इस समय सीमा के भीतर दूसरा सर्टिफिकेट इश्यू करे, जिस पर माता-पिता दोनों का नाम दर्ज हो। कोर्ट ने ये भी कहा कि यह गर्व की बात है कि आज बार में शामिल ज्यादातर युवाओं में लड़कियां हैं और अच्छी बात ये है कि ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स में से 70 परसेंट लड़कियां हैं।