हर तरफ बेहाल सा है शहर जिला मुख्यालय जौनपुर शहर पहुंचते ही विकास की स्थिति का अंदाजा लग जाता है। अस्त-व्यस्त ट्रैफिक, घंटों तक जाम की स्थिति और शहर को जोडऩे वाली खस्ताहाल सड़कें विकास की तस्वीर बयां करती हैं। शहर के पॉलिटेक्निक सर्किल पर पहुंचते ही यह ट्रैफिक और विकराल नजर आता है।
जौनपुर में विकास के लिए महिलाओं को राजनीति में लाना होगा वहीं मुंबई से शादी समारोह में शिरकत करने जौनपुर आए कांग्रेस नेता मंगला शुक्ल कहते हैं कि यहाँ की व्यवस्था में सुधार के लिए युवा नेतृत्व की जरूरत है। खास तौर पर महिलाओं को आगे आना होगा। कई दशक बीत गए कोई भी यहाँ नया युवा चेहरा राजनीति में नहीं आया। ऐसे में हमें बदलाव की जरूरत है। वरना ऐसे ही सरकारें आएंगी जाएंगी, कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
जौनपुर में विकास कभी मुद्दा नहीं रहा सर्किल पर मिले शहर के बुजुर्ग गौरी शंकर वशिष्ठ ने कहा कि यहां चुनाव आते ही कोई मुद्दा नहीं रहता है। जातीय आधार पर टिकट दिए जाते हैं। इसी आधार पर वोटिंग होती है। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि यहां मुद्दा मौजूदा विधायकों को पटखनी देने का रहता है। ऐसे में टिकट वितरण पर बहुत कुछ निर्भर होगा।
विकास तो सपा ने भी नहीं किया, फिर भी सपा चाहिए आजमगढ़ रोड पर चाय की थड़ी पर मिले 70 वर्षीय रामफेर यादव ने जिले के साथ खुद की पीड़ा बयां की। उन्होंने कहा कि दो बेटे हैं। एक ने एमबीए किया है, दूसरे ने बीटेक। एक महाराष्ट्र में है और दूसरा गुजरात में है। यहां रोजगार नहीं है। हजारों परिवारों के बच्चे दूसरे राज्यों में हैं। अगर यहां विकास होता, तो कोई बाहर क्यों जाता। समाजवादी पार्टी के पक्के समर्थक यादव ने कहा कि काम तो उनकी सरकार के समय भी नहीं हुआ, क्योंकि यहां वोट जाति के आधार पर देते हैं, काम के आधार पर पर नहीं। जौनपुर की इमरती देशभर में प्रसिद्ध है। यहां पहुंचकर शाही पुल क्षेत्र स्थित बेनीराम देवीप्रसाद की इमरती की दुकान पर गए। वहां मौजूद युवा व्यवसायी ने बताया कि वोट तो विकास के आधार पर दिया जाएगा। यह जरूर है कि यहां सभी इस आधार पर वोट नहीं करते हैं।
सपा बसपा के साथ ओवैसी की नज़रों में जौनपुर जिले में सपा, बसपा के साथ एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी नजर गढ़ाए हुए हैं। पिछले सप्ताह गुरैनी में औवेसी आए थे। दलित वंचित सम्मेलन में उन्होंने क्षेत्र की नब्ज टटोलने का प्रयास किया। हालांकि अल्पसंख्यक समुदाय औवेसी को लेकर गंभीर नहीं है। शहर के शाही पुल क्षेत्र के व्यापारी मुराद खान ने बताया कि औवेसी को वोट देने का मतलब है, भाजपा का जिताना। यह संदेश नीचे तक पहुंच रहा है। जिले में अजा, अल्पसंख्यक, यादव, ब्राह्मण, राजपूत वोट बड़ी संख्या में हैं। कपड़े बेचने वाले इकबाल ने कहा कि कोराना के कारण गरीबी बढ़ गई है। बाहर के राज्यों से लौटकर आए ज्यादातर लोग वापस नहीं गए हैं।
मछली शहर के कॉलेज शिक्षक विक्रम सिंह ने बताया कि जौनपुर जिला कभी देश के औद्योगिक मानचित्र पर चमकता था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1988 में सतहरिया में ही उत्तरप्रदेश स्टेट औद्योगिक विकास निगम की स्थापना की थी। बाद में यहां जिले में सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधीकरण, सीड का गठन किया गया। अब स्थिति यह है कि बीते ढाई दशकों में सीड भी कुछ नहीं कर पाया। बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था के कारण लोगों ने यहां से दूरी बनाना शुरू कर दिया। पिछले एक दशक में सैकड़ों उद्योगों पर ताले लग गए हैं। इसी वजह से यहां के युवा नौकरी के लिए अन्य राज्यों का रुख करते हैं। भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय सिंह का कहना है कि भले ही पहले विकास नहीं हुआ हो, पर इस बार जौनपुर की तस्वीर बदली है। लोकसभा चुनाव कुछ स्थानीय वजहों से हारे थे। इस बार सभी सीटों पर पार्टी का परचम फहरेगा।
9 में से 4 विधायक भाजपा के
जौनपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में मौजूदा विधानसभा में भाजपा के ४ विधायक हैं। एक सहयोगी अपना दल से है, जबकि ३ सीटों पर समाजवादी पार्टी और १ बसपा है। जिले में दो लोकसभा क्षेत्र हैं। भाजपा की लहर के बावजूद 2019 में जौनपुर सीट से बसपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि मछली शहर लोकसभा भाजपा के पास है।