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Assembly Election 2023: लोकतंत्र के चुनावी मैदान में फंसे कई ‘महाराज’, पूर्व राजघरानों की ‘महारानियों’ की साख भी दांव पर

Rajasthan MP and CG Elections 2023: लोकतंत्र के चुनावी मैदान में ‘महाराजों’ और ‘महारानियों’ भी अपनी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ये किस सीट पर मुकाबले में हैं, आइए उनके बारे में चर्चा करते हैं।

Nov 02, 2023 / 08:00 am

स्वतंत्र मिश्र

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पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को भले ही लोकतंत्र का उत्सव कहा जाए पर पूर्व राजधरानों का प्रभाव अब भी बरकरार है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति इन राजघरानों की उपस्थिति से बिना पूरी नहीं होती। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों दलों से एक दर्जन से अधिक वारिसों के चुनावी अखाड़े में उतरने से पूर्व राजघरानों की साख दांव पर है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में छह-छह और छत्तीसगढ़ में चार ऐसी सीटें हैं जहां पूर्व राजपरिवार चुनाव लड़ रहा है। राजस्थान में अभी कई सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है। मध्यप्रदेश में इस बार ग्वालियर राजघराने से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है। इसके वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री है और बुआ यशोधरा राजे मैदान से बाहर हैं।

राजस्थान- नाथद्वारा में रोचक मुकाबला

विश्वेन्द्र सिंहः भरतपुर राज परिवार से दूसरे पीढ़ी के विश्वेन्द्र सिंह, जो अभी राज्यमंत्री भी है, कांग्रेस से डीग-कुम्हेर सीट पर चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने शैलेश सिंह को मैदान में उतारा है। विश्वेंद्र सिंह 2018 में ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम के सामने हंगामा करने के कारण चर्चा में रहे हैं।
दिया कुमारीः जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य हैं। विधायक और सांसद रह चुकी हैं। विद्याधर नगर से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इनके पिता भवानी सिंह, इनके दादा मान सिंह और दादी गायत्री देवी भी राजनीति में सक्रिय रही हैं। कांग्रेस ने अभी तक इनके सामने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है।
विश्वराज सिंह मेवाड़ः हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा ने नाथद्वारा से विधायक प्रत्याशी बनाया है। इनके पिता भी चित्तौड़गढ से सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस से इनके सामने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव मैदान में है। जोशी भी बड़ा नाम है। ऐसे में यहां रोचक मुकाबला होने की संभावना है।
सिद्धी कुमारीः बीकानेर पूर्व से तीन बार विधायक रह चुकी हैं। भाजपा ने फिर से टिकट दिया है। इनके पिता राजनीति में नहीं थे, लेकिन दादा करणी सिंह राजनीति में रहे हैं। वह सांसद भी रह चुके हैं। कांग्रेस ने यहां से यशपाल गहलोत को टिकट दिया है। गहलोत कांग्रेस में काफी लंबे समय से राजनीति में हैं।
कल्पना देवीः कोटा की लाडपुरा सीट से विधायक हैं। भाजपा से पहली बार ही विधायक बनी हैं। इनके पति और ससुर राजनीति से जुड़े रहे हैं। लाडपुरा सीट से अभी तक भाजपा ने किसी को भी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
वसुंधरा राजेः प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। झालरापाटन से भाजपा की विधायक हैं। धौलपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य हैं। इनकी माता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की संस्थापक सदस्य रही हैं, जो आगे जाकर भाजपा बनी। राजे के सामने कांग्रेस ने अभी तक किसी को भी टिकट नहीं दिया है।
मध्यप्रदेश- चुरहट में प्रतिष्ठा का सवाल

जयवर्धन सिंह: राघौगढ़ सीट से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह कांग्रेस से मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा के हीरेंद्र सिंह बंटी बन्ना मैदान में हैं। दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह चांचौड़ा सीट से लड़ रहे हैं। मुकाबले में भाजपा से प्रियंका मीणा हैं।
दिव्यराज सिंह: भाजपा के दिव्यराज सिंह इस पूर्व राजपरिवार की सियासी विरासत संभाल रहे हैं। इनके खिलाफ कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय के रामगरीब को उतारा है। दिव्यराज के पिता और पुष्पराज सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं।
अजय सिंह: चुरहट राजघराने के अजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुरहट सीट से उम्मीदवार हैं। भाजपा ने शारदेंदु तिवारी को उतारा। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह पिछला चुनाव हार गए थे। इस बार फिर प्रतिष्ठा दांव पर है। अर्जुन के पिता शिव बहादुर सिंह चुरहट राजपरिवार के 26वें राजा थे।
गायत्री राजे पंवार: भाजपा ने देवास राजपरिवार की गायत्री राजे पंवार को देवास सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के प्रदीप चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। गायत्री अपने पति दिवंगत पूर्व महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पंवार की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। गायत्री राजे के मुकाबले कांग्रेस के प्रदीप चौधरी मैदान में हैं।
विजय शाह-संजय शाह: हरसूद (खंडवा जिला) सीट से मकड़ाई पूर्व राजघराने के विजय शाह तो टिमरनी (हरदा जिला) सीट से उनके भाई संजय शाह चुनाव लड़ रहे हैं। संजय के मुकाबले कांग्रेस ने अभिजीत शाह को उतारा है तो विजय शाह के मुकाबले कांग्रेस ने खुशराम साल्वे को उतारा है।
राजवर्धन सिंह: धार जिले की बदनावर सीट से अमझेरा पूर्व राजपरिवार के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भाजपा उम्मीदवार हैं। इसी सीट से इनके पिता प्रेमचंद दत्तीगांव भी विधायक रहे हैं। इनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार भंवर सिंह शेखावत से होगा।
छत्तीसगढ़- सिंहदेव-जूदेव परिवार का दबदबा

टीएस सिंहदेवः यहां से कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को अंबिकापुर सीट से उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने राजेश अग्रवाल को मैदान में उतारा है। तीन बार विधायक रह चुके सरगुजा राजपरिवार के मुखिया टीएस सिंहदेव चौथी बार अम्बिकापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। टीएस सिंहदेव 1977 से राजनीति में है।

प्रबलप्रताप सिंह जूदेवः जशपुर राजघराने के प्रबलप्रताप सिंह जूदेव को भाजपा ने कोटा सीट पर मैदान में उतारा है। इनके सामने कांग्रेस से अटल श्रीवास्तव मैदान में हैं। दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र प्रबल दो बार सांसद रह चुके हैं। प्रबल ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
संयोगिता सिंह जूदेवः चंद्रपुर सीट से जशपुर राजघराने की बहु संयोगिता सिंह जूदेव को भाजपा ने उतारा है। ये दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र युद्धवीर सिंह जूदेव की पत्नी हैं। इनके सामने कांग्रेस के वर्तमान विधायक राम कुमार यादव मैदान में हैं। 2018 में संयोगिता अपने पति के सीट चंद्रपुर से हार चुकी हैं।
अंबिका सिंहदेवः कांग्रेस ने बैकुंठपुर सीट से कोरिया राजघराने की अंबिका सिंहदेव को प्रत्याशी बनाया है। इनके सामने भाजपा से भैयालाल राजवाड़े को मैदान में उतारा है। वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी अम्बिका सिंहदेव दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। उनके चाचा राम चन्द्र सिंहदेव 6 बार विधायक चुने गए थे।

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