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टेम्पो चालक से यूपी की सियासत में किंग मेकर हैं ओमप्रकाश राजभर

ओमप्रकाश राजभर अब तक लंबे समय तक किसी दल के साथ नहीं रहे, कब तक करेंगे साइकिल की सवारी यह बड़ा सवाल। पूर्वांचल की राजनीति में सुभासपा की अच्छी दखल है। कांशीराम से सीखा था राजनीति का ककहरा। बसपा, कांग्रेस,भाजपा के बाद अब समाजवादी पार्टी के साथ हैं।

वाराणसीDec 27, 2021 / 10:33 pm

Sanjay Kumar Srivastava

टेम्पो चालक से यूपी की सियासत में किंग मेकर हैं ओमप्रकाश राजभर

टेम्पो चालक से यूपी की सियासत में किंग मेकर हैं ओमप्रकाश राजभर

वाराणसी. टेम्पो चालक से यूपी की सियासत में किंग मेकर तक की भूमिका अदा करने वाले ओमप्रकाश राजभर आज राजभर समाज के बड़े नेताओं में शुमार हैं। कांशीराम से राजनीति का ककहरा सीखने वाले राजभर के बारे में यह सच है कि ज्यादा दिनों तक उनकी किसी से नहीं निभी। बसपा, कांग्रेस, अपना दल से होते भाजपा तक से जुड़े पर उनके बागी तेवर के आगे किसी से उनकी दोस्ती लंबी नहीं खिंची। अब 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा है। आइए जानते हैं ओपी राजभर और उनकी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बारे में…
पूर्वांचल के कई जिलों में है राजभर का वर्चस्व

सुभासपा के साथ पूर्वांचल के करीब 18-20 फीसद राजभर मतदाता जुड़े होने का दावा है। वाराणसी, देवीपाटन, गोरखपुर व आजमगढ़ मंडल की विधानसभा सीटों पर राजभर जातियों का प्रभाव है। पूर्वांचल के वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, चंदौली, और भदोही में राजभर वोटरों की संख्या 22 फीसदी तक है।
सुभासपा का सफरनामा…

राजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन हुआ। ओमप्रकाश 1981 में बसपा संस्थापक कांशीराम के आंदोलन से जुड़े और 1996 में कोलअसला (अब पिंडरा) से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े। लेकिन हार गए और बसपा छोड़ दिया। फिर सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल से जुड़े।
2014 के लोकसभा चुनाव में बढ़ा कद

2007 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी उतारे लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सुभासपा ने कुल 13 उम्मीदवार उतारे। ओमप्रकाश खुद सलेमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। इस चुनाव में पार्टी को कुल 118,947 वोट मिले जिससे ओपी राजभर का कद बढ़ा तो 2017 के चुनाव में सुभासपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की, जबकि इस चुनाव में बीजेपी ने सुभासपा संग मिल कर सूबे में 300 प्लस सीटें जीती थीं। ऐसे में ओपी राजभर योगी सरकार में मंत्री बनाए गए। लेकिन पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री रहते हुए भी इस समाज के लिए कुछ न कर पाने का आरोप लगाते हुए मंत्री पद छोड़ दिया।
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अब ‘भाजपा साफ’ का नारा

सुभासपा अब समाजवादी पार्टी से मिलकर चुनाव लड़ेगी। उधर भाजपा राजभरों पर डोरे डालने की जुगत में है। शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से अनिल राजभर, राज्यसभा सदस्य सकल दीप राजभर और पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर के जरिए भाजपा राजभर वोट पाने की कोशिश में है।
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बेटे अरविंद के साथ जुटे ओमप्रकाश

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सुभासपा में महासचिव हैं। उन्होंने बलिया जिले की बांसडीह सीट से बीजेपी-सुभासपा के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव हार गए थे।

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