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यूपी चुनाव आते ही मायावती पर फिर कसा शिकंजा, विजिलेंस ने तेज की स्मारक घोटाले की जांच

Uttar Pradesh Assembly Elections 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले एक बार फिर बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्मारक घाेटाले का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है, जो मायावती (Mayawati) की राह में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। 10 साल पुराने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) अधिकारी फाइलों को लेकर विजिलेंस टीम के समक्ष पेश हुए, जिनमें से 23 फाइलों को विजिलेंस ने अपने पास रख लिया है।

नोएडाDec 02, 2021 / 12:15 pm

lokesh verma

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नोएडा. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले एक बार फिर बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्मारक घाेटाले का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है, जो मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। 10 साल पुराने इस मामले में लखनऊ में विजिलेंस ने जांच तेज करते हुए कुछ फाइल तलब की थीं। नोएडा प्राधिकरण अधिकारी फाइलों को लेकर विजिलेंस टीम के समक्ष पेश हुए, जिनमें से 23 फाइलों को विजिलेंस ने अपने पास रख लिया है। इसके साथ ही विजिलेंस ने 2009 से 2012 तक अथॉरिटी में पदस्थ सीईओ, एसीईओ और ओएसडी समेत अधिकारियों व कर्मचारियों की लिस्ट तलब की है।
उल्लेखनीय है कि यूपी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में नोएडा के साथ ही लखनऊ में भी स्मारकों का निर्माण किया गया था। आरोप है कि दोनों स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ का घाेटाला हुआ था। इस मामले की जांच करते हुए 2013 में लोकायुक्त ने रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके बाद इसी वर्ष अप्रैल में पहली बार कार्रवाई करते हुए लखनऊ विजिलेंस ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के 4 पूर्व अफसरों को गिरफ्तार किया गया। जबकि अन्य आरोपियों की जांच चल रही है। नोएडा अथॉरिटी के एक ओएसडी और वरिष्ठ प्रबंधक मंगलवार को लखनऊ में आयोजित बैठक में शामिल हुए। इस दौरान विजिलेंस अधिकारियों ने सवाल-जवाब किए। इसके बाद विजिलेंस ने 23 फाइलों को अपने पास रख लिया। अधिकारियों की मानें तो 2009 से 2012 तक जिस सीईओ की देखरेख में स्मारकों का निर्माण हुआ था। वह बसपा के करीबी अधिकारियों में से एक थे।
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ऑडिट में हुआ था खुलासा

उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने ही नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल का निर्माण किया था। समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही दलित प्रेरणा स्थल का ऑडिट कराया गया था, जिसमें खुलासा हुआ कि दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण के लिए महज 84 करोड़ रुपए का एमओयू साइन हुआ, लेकिन निर्माण पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। आरोप है कि स्मारकों में लगे पत्थरों की कीमत से लेकर पत्थरों धुलाई के अलावा कई मामलों में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
पानी की तरह बहाया गया पैसा

हैरार करने वाली बात ये है कि निर्माण कार्य में एक हजार करोड़ किसके आदेश पर खर्च हुए नोएडा अथॉरिटी में उसके कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं। निर्माण निगम को अथॉरिटी अधिकारी एमओयू की तय राशि से अधिक रकम जारी करते रहे। 84 करोड़ रुपये का अनुबंध बावजूद पानी की तरह पैसा बहाया गया।

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