1989 के बाद बनी परंपरा यूपी में 1989 तक जो भी मुख्यमंत्री बना वह चुन कर आता था। उसके बाद से विधान परिषद से आना शुरू हुआ। मायावती के बाद मुलायम सिंह फिर मायावती, अखिलेश और योगी आदित्यनाथ तीनों एमएलसी बन कर मुख्यमंत्री बने। आखिरी बार यूपी के मुख्यमंत्री जो विधायक रह चुके हैं वे राजनाथ सिंह हैं जो बाराबंकी से उप-चुनाव जीत कर आये थे।
योगी के लिए तीन विकल्प मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन कहां से चुनाव मैदान में उतरेंगे, इसका फैसला बीजेपी नेतृत्व करेगा। योगी के इस बयान के बाद अटकलबाजी तेज है कि वह गोरखपुर, मथुरा या फिर अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं।
1. अयोध्या आ चुके 30 बार ज्यादा संभावना है कि योगी अयोध्या की सदर सीट से मैदान में उतर सकते हैं। क्योंकि योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से पुराना जुड़ाव रहा है। वह अयोध्या आंदोलन के दौरान भी अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ यहां आते रहे थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह 30 से अधिक बार अयोध्या आ चुके हैं।
2. मथुरा से हिंदुत्व को धार मथुरा से श्रीकांत शर्मा बीजेपी विधायक हैं। अगर योगी आदित्यनाथ यहां से चुनाव लड़ते हैं तो श्रीकांत शर्मा को एडजस्ट करना होगा। बहरहाल यदि भाजपा यदि योगी को मथुरा से उतारती है तो वह हिंदुत्व के मुद्दे को और धार देना चाहेगी। रामजन्मभूमि के बाद कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठाकर ब्रज और पश्चिमी यूपी के नाराज किसान को साधना आसान होगा। लेकिन, सवाल यही है कि अपने निर्वाचन क्षेत्र से 550 किमी दूर क्या योगी यहां आएंगे।
3.आसानी से नहीं छोड़ेंगे गोरखपुर का गढ़ संकेत भले ही इस ओर इशारा कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन, एक सवाल यह भी है कि क्या वह गोरखपुर का अपना गढ़ इतनी आसानी से छोड़ देंगे? जहां से वह लगातार सांसद रहे हैं और वह उनकी कर्मस्थली भी है।
…और अखिलेश चुनाव लड़ते हैं तो उनके भी तीन विकल्प योगी फिलहाल विधान परिषद के सदस्य हैं। जबकि अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। 2012 से 2017 तक वे उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने एमएलए बनने के लिए कोई उपचुनाव भी नहीं लड़ा। वे एमएलसी ही थे। हालांकि, अखिलेश यादव भी कह चुके हैं कि चुनाव लडऩे के बारे में जहां से हमारी पार्टी कहेगी वहां से लड़ेंगे। यदि अखिलेश यादव चुनाव मैदान में उतरते हैं तो वे इटावा, मैनपुरी या आज़मगढ़ में किसी एक यादव बहुल सीट से लड़ सकते हैं।
प्रियंका गांधी क्या फ़ैसला लेंगी? प्रियंका, क्या आप चुनाव लड़ेंगी?” यह सवाल प्रियंका गांधी से तब से पूछा जा रहा है जब से वो हर लोकसभा चुनावों में अपने भाई राहुल गांधी और अपनी मां सोनिया गांधी के लिए अमेठी और रायबरेली का चुनाव प्रचार संभाल रही हैं। प्रियंका गांधी ने जब महिलाओं के लिए 2022 का घोषणापत्र जारी किया तब उनसे फिर सवाल हुआ कि क्या पार्टी की 40 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों में उनका नाम भी होगा, तो जवाब में प्रियंका ने कहा था, हो सकता है। आप ठहर के देखिए, जब निर्णय होगा तब आपको पता चल जाएगा। रही बात बसपा प्रमुख मायावती की तो वह यूपी की कई बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। लेकिन हर बार एमएलसी के रास्ते ही वे मुख्यमंत्री बनीं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में उतरने का उनका कोई इरादा नहीं है।