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फिल्मों के सीधे डिजिटल प्रीमियर को लेकर निर्माताओं और थिएटर मालिकों में ठनी

प्रोड्यूसर्स गिल्ड ने कहा- फिल्मों का प्रदर्शन अटकने से रोजाना करोड़ों का नुकसान, इसे कम करने का और कोई रास्ता नहीं

मुंबईMay 15, 2020 / 09:56 pm

पवन राणा

फिल्मों के सीधे डिजिटल प्रीमियर को लेकर निर्माताओं और थिएटर मालिकों में ठनी

फिल्मों के सीधे डिजिटल प्रीमियर को लेकर निर्माताओं और थिएटर मालिकों में ठनी

नई फिल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारने को लेकर निर्माताओं, वितरकों और थिएटर मालिकों के बीच टकराव के हालात पैदा हो गए हैं। वितरक और थिएटर मालिक शुरू से इस परिपाटी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उनका कारोबार चौपट हो जाएगा। दूसरी तरफ फिल्म निर्माताओं के सामने इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। करीब दो महीने से बंद सिनेमाघर कब खुलेंगे और उनमें हालात कब तक सामान्य होंगे, इसकी कोई साफ तस्वीर फिलहाल नजर नहीं आ रही है। बड़ी फिल्मों का प्रदर्शन अटकने से निर्माताओं का घाटा रोज बढ़ रहा है। जो और घाटा झेलने में सक्षम नहीं हैं, वे अपनी फिल्मों के प्रसारण अधिकार ओटीटी कंपनियों को सौंप रहे हैं। अब तक आधा दर्जन फिल्मों का सीधे डिजिटल प्रीमियर तय हो चुका है। इनमें अमिताभ बच्चन की ‘गुलाबो-सिताबो’ और ‘झुंड’, अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी बम’, जाह्नवी कपूर की ‘गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल’ तथा अभिषेक बच्चन की ‘लूडो’ शामिल हैं। कई और फिल्मों के डिजिटल प्रीमियर को लेकर ओटीटी कंपनियों से चर्चा चल रही है।

निर्माताओं के संगठन ने किया बचाव
फिल्मों के डिजिटल प्रीमियर को लेकर शुक्रवार को फिल्म निर्माताओं के संगठन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि गिल्ड हमेशा फिल्मों के सिनेमाघरों में प्रदर्शन के पक्ष में रही है, लेकिन इस समय फिल्म इंडस्ट्री संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। उन निर्माताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है, जिन्होंने फिल्म निर्माण के लिए कर्ज ले रखा है। ऐसे निर्माता, जिनकी फिल्में करीब-करीब तैयार हो चुकी हैं, अगर सीधे डिजिटल प्रीमियर का फैसला कर रहे हैं तो उनकी परेशानी को समझा जाना चाहिए। सिनेमाघर बंद होने से फिल्मों का बैकलॉग भी काफी हो गया है। छोटी और मध्यम फिल्मों के निर्माता ज्यादा दबाव में हैं। फिल्मों के डिजिटल प्रीमियर को इस दबाव को कम करने के कदम के तौर पर देखा जाना जाहिए।

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हालात में जल्द सुधार के आसार नहीं
प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के बयान के मुताबिक सिनेमाघरों में हालात जल्द सामान्य होने के आसार नहीं हैं। सिनेमाघर बंद होने से प्रदर्शन सेक्टर की तरह निर्माण सेक्टर को भी रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। सिनेमाघर खुलने के बाद इनमें दर्शकों के आगमन को लेकर संशय बना रहेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन से वैसे भी शुरुआत में दर्शक कम रहेंगे। हिन्दी फिल्मों के लिए ओवरसीज मार्केट भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। भारत में सिनेमाघर खुलते हैं तो ओवरसीज मार्केट भी खुल जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। प्रदर्शन सेक्टर की इस अपील पर कि फिल्मों का सीधे डिजिटल प्रीमियर करने वाले निर्माताओं का बहिष्कार किया जाए, गिल्ड ने कहा- ‘ऐसे कदम से रचनात्मक और सहयोगात्मक बातचीत का रास्ता नहीं खोजा जा सकेगा।’

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आइनॉक्स ने जताई चिंता
थिएटर चैन आइनॉक्स ने फिल्मों के सीधे डिजिटल प्रीमियर के फैसले पर चिंता जताते हुए निर्माताओं से अपील की है कि वे प्रदर्शन सेक्टर के हितों की अनदेखी न करें। आइनॉक्स ने एक बयान में कहा- ‘सिनेमाघरों और निर्माताओं के बीच सहयोग दशकों से चल रहा है। संकट के दौर में जब एक-दूसरे के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने की जरूरत है, इस तरह सीधे डिजिटल प्रीमियर में दिलचस्पी दिखाना परेशान करने वाला है।’
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‘शमशेरा’ भी कतार में
रणबीर कपूर के डबल रोल वाली ‘शमशेरा’ को भी सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारा जा सकता है। करण मल्होत्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म की शूटिंग इसी साल जनवरी में पूरी हो गई थी। इसे 31 जुलाई को सिनेमाघरों में उतारने की योजना थी, जो अब साकार होती नहीं लगती। फिल्म के बाकी कलाकारों में संजय दत्त, वाणी कपूर, रोणित रॉय और इरावती हर्षे शामिल हैं।

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