मैं तो बार बार अपनी जनता, जनप्रतिनिधियों और सरकारी हुक्मरानों से सवाल पूछता रहूंगा। झील क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने के बावजूद सेवन वंडर्स सहित अवैध निर्माण किसकी शह पर बने हैं ? उच्च न्यायालय और झील संरक्षण समिति की फटकार के बावजूद जिम्मेदार अफसर किसके इशारे पर अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे ? झील के पानी को ऑक्सीजन देने वाले संयंत्र की देखरेख के जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई होगी ? ऑक्सीजन कंसंट्रेटरों को क्यों कबाड़ होने दिया गया ? झील में बोटिंग तो हो रही है। ऐसी क्या ’मजबूरी’ है कि यहां क्रूज चलाने की तैयारी की जा रही है ? क्यों जलकुम्भी की समस्या का अभी तक स्थायी समाधान नहीं हो पाया ? जनप्रतिनिधि कब अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर समूचे शहर के लिए एकजुटता दिखाएंगे ? जनता क्या सोती ही रहेगी ? जनता को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी कमजोरी की वजह से ही शहर को खुले रूप में ’लूटा’ जा रहा है। चुनाव आने वाले हैं। सरकारी अफसर तो इधर-उधर किए जाएंगे। इसलिए मुझे उनसे तो इंसाफ की उम्मीद कतई नहीं है। क्यों ना चुनाव लड़ने वालों से शहर के अहम मसलों को समयबद्ध हल करवाने के लिए लिखित में शपथ पत्र भरवा लिया जाए ?
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