इन मुद्दों पर है हठयोग
बाबा का नाम रामकेवल है। उनका यह धरना सामाजिक बुराई, सरकार के अत्याचारों के खिलाफ है। मंगलवार को एक पैर पर खड़े होकर बाबा ने कहा, “जो स्थिति मेरी है वर्तमान में वही हाल हरियाणा प्रदेश और देश का है। जो खुद डगमगा रहा हो वो मेरी बात क्या सुनेंगे। लेकिन मेरा संघर्ष जनहित के लिए जारी रहेगा।” ऐसा पहली बार नहीं है जब बाबा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। वह पहले भी कई बार अपने धरने के माध्यम से हुकूमत करने वालों को जगाते रहे हैं।
सरकार पर ताकत के दुरुपयोग का आरोप
कोविड-19 संकट में धरने पर बैठने का कारण बताते हुए बाबा रामकेवल ने कहा कि प्रदेश में इस समय महामारी से लोग परेशान हैं तो दूसरी तरफ सरकार की विफल नीतियों ने आज लोगों को बेरोजगार और बेघर कर दिया है। इसकी सच्चाई सामने लाने वाले पत्रकार, समाजसेवियों और आरटीआई एक्टिविस्टों को सरकार अपनी शक्ति का गलत उपयोग करके लोकतंत्र की आवाज को दबाने का काम कर रही है। इसी के चलते सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया गया है।
सुए से छेद ली थी जीभ
14 जून को हिंदू महासभा के प्रदेश प्रवक्ता जग विजय वमाज़् और प्रदेश सचिव उमेश कुंडू ने धरनास्थल पहुंच बाबा का समर्थन किया था। बाबा का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती तो उन्?हें मजबूरन धरने से अनशन की ओर जाना पड़ेगा। करीब तीन साल पहले, फरीदाबाद नगर निगम में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बाबा ने अनशन किया था। तब निगम के बाहर सत्याग्रह और आमरण अनशन पर बैठे बाबा रामकेवल ने सुए से अपनी जीभ छेदकर मौन धारण किया था। उससे पहले, उन्होंने चेतावनी दी थी कि ये सुआ तब तक नहीं निकलेगा तब तक करप्शन की जांच के लिए एसआईटी गठित नहीं हो जाती। तब हरियाणा के उद्योग और वाणिज्य मंत्री विपुल जैन ने पहुंचकर बाबा का अनशन तुड़वाया था।