जनप्रतिनिधि के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं
साधु संतों ने जनप्रतिनिधि पर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। दो साधुओं ने अर्धसमाधि ले ली है। बड़े आंदोलन को शुरू करने का एलान कर दिया गया है। साधु संत कहते हैं कि प्रशासन जानबूझकर जनप्रतिनिधि को बचाने का काम कर रहा है। जब आश्रम में उनके इशारे पर तोड़फोड़ हुई तो जनप्रतिनिधि के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
आपको बताते चले शमसाबाद के ढाई घाट स्थित एक कीमती जमीन का है। ग्राम समाज की भूमि पर कभी यहां तालाब हुआ करता था ढाईघाट पर पक्का पुल और पुल तक जाने को सड़क बनी तो यह जगह अचानक कीमती हो गई भूमाफिया और माननीय ने इस भूमि पर नजर गड़ा दी विगत वर्ष दस जून को इस जमीन पर झोपड़ियां डाल कर रह रहे लोगों को हटाने के लिए प्रशासन ने बाकायदा अभियान चलाया।
शमसाबाद के इंस्पेक्टर को हटवा दिया
प्रशासन ने विधायक की खातिर ही यह मुस्तैदी दिखाई थी, यहां पर एक विधायक के पेट्रोल पंप के लिए निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है इसी भूमि पर रह रहे साधुओं केरू गिरि बाबा व मकसूदन दास की झोपड़ियों व उनके द्वारा स्थापित मूर्तियों को एक सपा नेता के साथ पहुंचे विधायक समर्थकों ने जेसीबी से हटा दिया मूर्तियों के चारों ओर लगाई ईंटों को भी जेसीबी से जमीन में दबा दिया गया। भाजपा विधायक इस मामले में उनके इशारे पर न चलने के कारण शमसाबाद के इंस्पेक्टर को हटवा दिया था। फिलहाल मंदिर को तहस नहस किए जाने और मूर्तियों को खंडित किए जाने से पंच दश नाम आह्वान अखाड़े के नागा संतों में बहुत गुस्सा है और मामले की शिकायत सीएम योगी के दरबार तक पहुंचाई गई है।