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जालान समिति की सिफारिश पर केंद्र को आरबीआई से मिल सकते हैं सिर्फ 50000 करोड़

Bimal Jalan committee आरबीआई से Central Government को सिर्फ 50 हजार करोड़ रुपए की निधि देने की सिफारिश कर सकती है। वहीं केंद्र 2.32 लाख करोड़ रुपए की डिमांड कर रहा है।

Jul 15, 2019 / 08:23 am

Saurabh Sharma

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ( Former rbi Governor Bimal Jalan ) की अध्यक्षता वाली समिति केंद्रीय बैंक की आकस्मिक निधि से 50,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ( Central government ) को ट्रांसफर करने की सिफारिश कर सकती है। यह समिति आरबीआई ( RBI ) के आरक्षित पूंजी निधि के आकार की जांच-पड़ताल कर रही है। समिति अपनी रिपोर्ट इस सप्ताह आरबीआई को सौंपेगी।

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सूत्रों ने बताया कि ईसीएफ ( आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क ) समिति के सदस्यों द्वारा प्राप्त फॉर्मूले के अनुसार 50,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का सुझाव दिया जा सकता है। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार, विभिन्न प्रकार की आरक्षित निधियों में आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपए, परिसंपत्ति विकास निधि 22,811 करोड़ रुपए, मुद्रा व स्वर्ण पुनर्मूल्यांकन खाता 6.91 लाख रुपए और निवेश पुनर्मूल्यांकन खाता रि-सिक्योरिटीज 13,285 करोड़ रुपए है। कुल निधि 9.59 लाख करोड़ रुपए है।

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केंद्र सरकार पूरी आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपए चाहती है, लेकिन जालान समिति मुद्रा में उतार-चढ़ाव को लेकर पूरी निधि सरकार को ट्रांसफर करने के पक्ष में नहीं है। सरकार मानती है कि आकस्मिक निधियों व अन्य निधियों के हस्तांतरण के माध्यम से आरबीआई के पास पर्याप्त पूंजी से अधिक रकम है।

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अटकलें यह लगाई जा रही थीं कि केंद्र सरकार कुल आरक्षित निधि 9.6 लाख करोड़ रुपए की एक तिहाई रकम का हस्तांरतण चाहती है। पिछले साल सरकार ने कहा था कि आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए या एक लाख करोड़ रुपए हस्तांतरित करने के लिए कहने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

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सरकार के मना करने के बावजूद मसला ज्यों का त्यों है। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में आरबीआई की पूंजी के 27 फीसदी के प्रावधान की जरूरत है। उनके आकलन के अनुसार अगर आरबीआई 14 फीसदी का प्रावधान करता है तो वह 3.6 लाख करोड़ रुपए उपलब्ध कर सकता है।
एक पूर्व बैंकिंग सचिव ने कहा कि घरेलू बांड के लिए विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि और परिसंपत्ति पुनर्मूल्यांकन निधि भारग्रस्त है। सरकार उसको नहीं छू सकती है।

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आरबीआई बोर्ड के एक पूर्व सदस्य ने कहा कि कानूनी तौर पर आरबीआई अपनी आरक्षित निधि का त्याग नहीं कर सकता है। वह सिर्फ किसी विशेष वर्ष का मुनाफा सरकार को दे सकता है। सिर्फ आकस्मिक निधि सरकार को हस्तांतरित करने पर विचार किया जा रहा है।

 

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