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भारत में विदेशी शहरीकरण मॉडल अपनाने की जरूरत नहीं: राजीव कुमार

शहरीकरण के लिए विदेशी मॉडल को अपनाने के बदले भारत को पूरे देश में विकास केंद्रों को बनाने की जरूरत है।

Jan 11, 2018 / 07:07 pm

आलोक कुमार

urbanisation
नई दिल्ली. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि शहरीकरण के लिए विदेशी मॉडल को अपनाने के बदले भारत को पूरे देश में विकास केंद्रों को बनाने की जरूरत है। विदेशी मॉडल अपनाने से असमानता और असंतुलन में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, “भारत की विविधता को देखते हुए, असमान और असंतुलित शहरीकरण सही नहीं है।” उन्होंने, ‘नगर वित्त और स्मार्ट शहरों के लिए प्रभावी और त्वरित कार्यान्वयन’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान कहा, “यह बहुत दुखद है कि हम लगातार विदेशी मॉडल की ओर देखते हैं। हम वह भारत में नहीं दोहरा सकते जिसे चीन ने किया है।”

चीन में विकास केवल तटवर्ती इलाकों में
उन्होंने कहा कि चीन में विकास केवल तटवर्ती इलाकों में हुआ है जबकि अन्य क्षेत्र वहां अभी भी पिछड़ा है जिससे चीनी नव वर्ष पर लाखों की आबादी को अपने घर वापस जाना पड़ता है। भारत में जबकि देश के किसी भी भाग में दिवाली या होली जैसे अन्य त्योहारों में लाखों लोग एक जगह से दूसरे जगह नहीं जाते हैं। उन्होंने कहा, “दो अलग-अलग संरचनाओं को कम करने और सभी शहरी सुविधाओं को गांव से जोड़ने के लिए, हमें नई पहल ‘रुर्बन’ की अवधारणा को लाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “देश में शहरों के सशक्तीकरण करने के लिए हमें आर्थिक-राजनीतिक औचित्य, तकनीकी रूप से स्मार्ट समाधान और बौद्धिक कसौटी की जरूरत है।”

तेजी से बढ़ रही है शहरों में आबादी
2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 38 करोड़ लोग शहर में रह रहे हैं, जोकि 1991 में 22 करोड़ की जनसंख्या से काफी ज्यादा है। तब यह संख्या कुल जनसंख्या की एक चौथाई थी। शहरी जनसंख्या की यह रफ्तार 2031 तक 40 फीसदी या 60 करोड़ तक पहुंच सकती है। सर्वे के मुताबिक, शहरों में बसने वाले अधिकतर लोग बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। 2011 जनगणना के अनुसार, लगभग 6.5 करोड़ लोग पहले से ही इन शहरों की झुग्गियों में रह रहे हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों पर यदि नगरीकरण के क्षेत्र में विकास की दृष्टि से विश्लेषण किया जाय तो यह स्पष्ट है कि विभिन्न राज्यों में नगरीकरण की मात्रा और गति एक जैसी नहीं थी।

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