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पटेल ने दिलचस्प खुलासा
विदेशी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने खुलासा करते हुए कहा कि सरकार ने उस वक्त बैंकरप्सी लॉ के नियमों को ढील देने का आदेश दिया था, जिसपर वो बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। इसी बात से उनके और सरकार के बीच दूरियों की एक रेखा खिंच गई। उर्जित पटेल के अनुसार जिस साल उन्होंने अपने पद इस्तीफा दिया, तब सरकार कानून को लेकर सक्रियता खत्म कर चुकी थी। उर्जित पटेल ने सितंबर 2016 से लेकर दिसंबर 2018 तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पद को संभाला है। उनसे पहले रघुराम राजन पद रहे। जिनके भी मोदी सरकार के साथ कभी मीठे संबंध नहीं रहे।
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2018 में आरबीआई ने जारी किया था सर्कूलर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2018 में आरबीआई की ओर से जारी सर्कुलर में बैंकों को निर्देश हुए थे कि जो बॉरोअर रीपेमेंट नहीं कर रहे हैं उन्हें तुरंत डिफॉल्टर की लिस्ट जोड़ा दिया जाए। जिसपर सरकार की ओर से सहमति नहीं बन पा रही थी। सर्कूकर की खास बात तो यह थी कि जो जो कंपनी डिफॉल्ट हो जाएगी उसके प्रमोटर इनसॉल्वेंसी ऑक्शन में कंपनी में हिस्सेदारी बायबैक नहीं कर पाएंगे।
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सरकार चाहती थी वापस हो सर्कूलर
उर्जित पटेल के अनुसार जब तक यह मुद्दा बातचीत के स्तर पर था तब तक उनके और तत्कालिक फाइनेंस मिनिस्टर के बीच कोई दोराय नहीं थी। लेकिन जैसे ही सर्कूलर जारी हुआ उसके बाद से सरकार और उनके बीच मतभेद शुरू हो गए। आरबीआई बैंकरप्सी कानून को और सख्त करना चाहता था, लेकिन सरकार इसे वापस लेने का बार-बार दबाव बना रही थी। जिसे आरबीआई की ओर से मना कर दिया गया। उसके बाद उनके और सरकार के बीच रिश्ते तल्ख होते चले गए।