डेंगू के प्रकोप से बचाने के लिए अब गंबूसिया नामक मछलियों को तालाब में छोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि इस प्रकार की मछलियां एक दिन में मच्छरों से पैदा होने वाले लाखों लार्वा का भक्षण कर उसे समाप्त कर देती हैं। इससे काफी हद तक मच्छरों से पनपने वाली बीमारियों को दूर किया जा सकेगा। जिला प्रशासन ने अब जैवीय तरीके से डेंगू के मच्छरों को समाप्त करने की योजना तैयार की है। इसकी शुरूआत जिले के टूंडला से की गई है। यहां पर एसडीएम डॉ. बुशरा बानो, सीएचसी अधीक्षक डॉ. संजीव वर्मा, बीडीओ नरेश कुमार ने मदावली गांव में जाकर इस प्रकार की मछलियों को तालाब में छुड़वाया है। नगर आयुक्त फिरोजाबाद प्रेरणा शर्मा ने बताया कि जलभराव वाले 50 स्थानों पर गंबूसिया मछलियां छोड़ी जाएंगी। अभी केवल 5 तालाबों में यह छोड़ी गई हैं। इससे काफी हद तक मच्छरों से निजात मिलेगी।
जिला मत्स्य अधिकारी श्रीकिशन शर्मा ने बताया कि इसका विज्ञान नाम गंबूसिया इफैंस है। यह मछली अंडे नहीं बल्कि बच्चे देती है। इस मछली का मुख्य भोजन मच्छरों से उत्पन्न होने वाला लार्वा होता है। यह एक मछली एक दिन में करीब 300 मच्छरों का लार्वा खा जाती है। इसकी प्रजनन क्षमता भी अधिक है। इस मछली के बच्चे भी तेजी से मच्छरों के लार्वा का भक्षण करते हैं। इससे काफी हद तक मच्छरों के प्रकोप से होने वाली बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
— यह मछलियां 14 से 38 डिग्री तापमान तक जीवित रह सकती हैं
— इस मछली की लंबाई 3 इंची तक होती है
— एक मछली दिन भर में 100 से 300 मच्छरों का लार्वा खाती है
— एक मछली 16 से 18 दिन में बच्चे देती है
— डेढ़ माह में इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है