गृहस्थ संत प्रभुदयाल शर्मा ने कहा कि ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग गुरू से होकर ही गुजरता है। गुरू ईश्वर तक पहुंचाने में सीढ़ी का काम करते हैं। संत कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि सत्संग में आने वाले व्यक्ति को उसका फल तभी प्राप्त होता है। जब वह अपने आप को गुरू के प्रति समर्पित कर देता है। स्वयं को समर्पण किए बिना साधना का फल नहीं मिलता। गया से आए मुकुल ने कहा कि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव योनि प्राप्त होती है। यदि अभी इसका सदुपयोग नहीं किया गया तो पूरा जीवन व्यर्थ ही निकल जाएगा।
लखनऊ से आए शिवप्रसाद शर्मा ने कहा कि संचार माध्यमों से सुनाए जाने वाली पूजा पद्धति मात्र एक दिखावा है। जब तक आत्मिक शांति नहीं मिलेगी, तब तक योग का लाभ नहीं मिलेगा। जसपुर से आए मोहित कुलश्रेष्ठ ने कहा कि त्रेता युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतरित होकर मां यशोदा को दिव्य दर्शन कराए उसके बाद महाभारत के युद्ध में अर्जुन को विराट स्वरूप दिखाकर उनकी शंका को दूर किया। मंगलवार को प्रथम सत्र के बाद सत्संग का समापन हो जाएगा।