ये भी पढें- कौन हैं कांग्रेस प्रत्याशी मुकुंद भास्कर जिनपर पार्टी की महिला कार्यकर्ता ने लगाया रेप का आरोप सभी दलों ने चखा जीत का स्वाद- फीरोजाबाद की टूंडला विधान सभा सीट का इतिहास पुराना है। यहां 1952 में हुए चुनाव में उल्फत सिंह चौहान सबसे पहले विधायक चुने गए। इस विधानसभा सीट पर सभी दलों ने जीत का स्वाद चखा है। 2007 से 2017 तक यह सीट बसपा के खाते में रही और राकेश बाबू विधायक बने। 2017 में भाजपा के प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 60 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया, मगर जीत प्रो.बघेल के जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवादों में आ गई। विपक्षी दल ने उनके धनगर जाति के प्रमाण पत्र को हाइकोर्ट में चुनौती दी। मामला चलता रहा। बघेल विधायक से मंत्री बने। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में आगरा से जीत हासिल कर वह सांसद बने। उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दिया और सीट खाली हो गई। प्रदेश में रिक्त हुई सीटों पर अक्टूबर 2019 में उपचुनाव हुए, लेकिन हाईकोर्ट में मामला होने के कारण उपचुनाव नहीं हो सका। जबकि सपा बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। बीजेपी की भी तैयारी पूरी थी। पिछले महीनों में हाईकोर्ट ने प्रो बघेल के जाति प्रमाणपत्र खिलाफ याचिका खारिज हो गई। इसके साथ ही उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया।
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समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी पार्टी के कद्दावर नेता महाराज सिंह धनगर को चुनाव मैदान में उतारा है। महाराज सिंह आगरा के बोदला में रहते हैं। आगरा में उनकी राजनीतिक पकड़ भी है। वह आगरा मेयर का चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा वह 2014 में आगरा से ही लोकसभा का चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने टूंडला से महाराज सिंह धनगर को विधानसभा का टिकट दिया था, लेकिन बाद में उनका टिकट बदल दिया गया और बीजेपी से सपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक शिव सिंह चक को मैदान में उतारा गया, लेकिन वो हार गए तथा प्रो एसपी सिंह बघेल ने जीत दर्ज कराई। वहीं बसपा के प्रत्याशी संजीव चक भी फिलहाल आगरा में ही रहते हैं। वह मूल रूप से टूंडला के रहने वाले हैं। संजीव चक का कोई लम्बा राजनीतिक इतिहास नहीं है। आगरा में ही यह बसपा की भाई चारा कमेटियों से जुड़े रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी पार्टी के कद्दावर नेता महाराज सिंह धनगर को चुनाव मैदान में उतारा है। महाराज सिंह आगरा के बोदला में रहते हैं। आगरा में उनकी राजनीतिक पकड़ भी है। वह आगरा मेयर का चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा वह 2014 में आगरा से ही लोकसभा का चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने टूंडला से महाराज सिंह धनगर को विधानसभा का टिकट दिया था, लेकिन बाद में उनका टिकट बदल दिया गया और बीजेपी से सपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक शिव सिंह चक को मैदान में उतारा गया, लेकिन वो हार गए तथा प्रो एसपी सिंह बघेल ने जीत दर्ज कराई। वहीं बसपा के प्रत्याशी संजीव चक भी फिलहाल आगरा में ही रहते हैं। वह मूल रूप से टूंडला के रहने वाले हैं। संजीव चक का कोई लम्बा राजनीतिक इतिहास नहीं है। आगरा में ही यह बसपा की भाई चारा कमेटियों से जुड़े रहे हैं।
यह हैं कांग्रेस प्रत्याशी-
कांग्रेस ने इस सीट पर स्नेहलता बबली को मैदान में उतारा है। यह पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। स्नेहलता नारखी के गढ़ी सिधारी गांव की रहने वाली हैं । 2002 में इन्होंने टूंडला विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वह कांग्रेस पार्टी की पीसीसी मेंबर भी हैं। इधर शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रसपा ने इस बार टूण्डला से प्रकाश चंद्र मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह राजनीतिक परिवार से जुड़े है। लेकिन देखा जाए तो सत्ताधारी बीजेपी ने इस सीट पर अभी तक किसी भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार 14 अक्टूबर तक प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी।
कांग्रेस ने इस सीट पर स्नेहलता बबली को मैदान में उतारा है। यह पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। स्नेहलता नारखी के गढ़ी सिधारी गांव की रहने वाली हैं । 2002 में इन्होंने टूंडला विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वह कांग्रेस पार्टी की पीसीसी मेंबर भी हैं। इधर शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रसपा ने इस बार टूण्डला से प्रकाश चंद्र मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह राजनीतिक परिवार से जुड़े है। लेकिन देखा जाए तो सत्ताधारी बीजेपी ने इस सीट पर अभी तक किसी भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार 14 अक्टूबर तक प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी।
3.60 लाख वोटर- 2017 में हुए विस चुनाव में जहां टूंडला में 3,49,525 मतदाता थे, वहीं उपचुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है। अब 3,60,444 मतदाता प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला करेंगे। उपचुनाव के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारियां भी पूरी हैं। अबकी बार खास यह होगा कि किसी भी बूथ पर एक हजार से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे। पिछली बार जहां 408 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए थे, वहीं अबकी बार 558 बूथ पर वोट डाले जाएंगे। इसी तरह मतदेय स्थलों की संख्या 300 से बढ़कर 303 हो गई है।
2017 का चुनाव परिणाम प्रो. एसपी सिंह बघेल, भाजपा, 118584 राकेश बाबू, बसपा, 62514 शिव सिंह, सपा, 54888 गंगा प्रसाद पुष्कर, आरएलडी, 2576 नोटा, 1381 कुल मतदाता 349702
पड़े वोट 243591 एसपी सिंह बघेल 56070 वोट से जीते अब तक के चुनाव परिणाम साल- विजयी प्रत्याशी- पार्टी- वोट 2017 – प्रो. एसपी सिंह बघेल- भाजपा- 118584 2012 – राकेश बाबू- बसपा- 67949
2007 – राकेश बाबू – बसपा- 50002 2002 – मोहन देव शंखवार- सपा – 44703 1996 – शिव सिंह चक – भाजपा – 46541 1993 – रमेशचंद्र चंचल – सपा – 45465
1991 – ओम प्रकाश दिवाकर – जनता दल – 20614 1989 – ओम प्रकाश दिवाकर – जनता दल – 44689 1986 – अशोक सेहरा – कांग्रेस – 14363 1980 – गुलाब सेहरा- काग्रेस आई- 22937