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गाज़ियाबाद

AIIMS की लापरवाही से हिंदू परिवार ने मुस्लिम महिला का कर दिया अंतिम संस्कार, फोन आते ही उड़े परिजनों के होश

Highlights
– देश के सबसे भरोसेमंद अस्पताल AIIMS की बड़ी लापरवाही आई सामने
– एक परिवार ने दो बार किया अंतिम संस्कार तो दूसरे को नहीं मिला हक
– कोरोना से मृत दो महिला के शव बदले जाने को लेकर एम्स ने मांगी माफी

गाज़ियाबादJul 09, 2020 / 10:19 am

lokesh verma

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गाजियाबाद. देश के सबसे भरोसेमंद अस्पताल एम्स ( AIIMS ) की एक ऐसी लापरवाही सामने आई है, जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। इस लापरवाही के कारण जहां एक परिवार को अपने परिवार के सदस्य की मौत के बाद दो बार अंतिम संस्कार करना पड़ा तो वहीं दूसरी तरफ एक परिवार को अपने सदस्य की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार ( Funeral ) करने हक भी नहीं मिल सका।
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जानकारी के मुताबिक, गाजियाबाद ( Ghaziabad ) के विजयनगर स्थित कैलाशनगर में रहने वाली कुसुमलता (52) की तबीयत खराब होने के चलते परिजनों ने दिल्ली के एम्स ( AIIMS Delhi) अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां 5 जुलाई की शाम कुसुमलता की कोराना वायरस ( coronavirus ) से मौत हो गई। इसके बाद 6 जुलाई को एम्स ने कुसुमलता का शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होने के कारण परिजनों ने कुसुमलता का हिंदू-रीति रिवाज से दिल्ली के पंजाबी बाग में अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन 6 जुलाई की शाम एम्स से कुसुमलता के परिजनों के पास जो फोन आया उसे सुनकर परिजनों के होश उड़ गए। फोन करने वाले ने उन्हें बताया कि कुसुमलता का शव बरेली निवासी अंजुम से बदल गया है। गलती के लिए माफी चाहते हैं। आप लोग आकर कुसुमलता का शव ले जाएं, जिसके बाद 7 जुलाई को फिर से परिजन एम्स गए और कुसुमलता का शव लाकर फिर से अंतिम संस्कार किया। बताया जा रहा है कि इस लापरवाही पर अंजुम के परिजनों ने दिल्ली एम्स में जमकर हंगामा किया है।
मृतक कुसुमलता की बेटी ने बताया कि उनकी मम्मी की तबीयत बेहद खराब चल रही थी, जिसका इलाज गाजियाबाद में कराया जा रहा था। लेकिन, उनकी हालत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें 5 जुलाई को दिल्ली एम्स के लिए रेफर कर दिया गया। 5 जुलाई की शाम को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। एम्स के स्टाफ ने कोरोना के चलते शव को पूरी तरह सील कर सौंपा था। उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी कर दिया, लेकिन 6 जुलाई की शाम को दोबारा एम्स से फोन आया की गलती से मृत शरीर बदला गया है। इसकेे बाद 7 जुलाई को मां का अंतिम संस्कार किया गया।

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