script16 साल बाद बर्फ में दबा मिला सेना के जवान का पार्थिव शरीर, पुत्र वियोग में चल बसे माता-पिता, हरे हुए परिजनों के जख्म | Army soldier's body found buried in snow after 16 years | Patrika News

16 साल बाद बर्फ में दबा मिला सेना के जवान का पार्थिव शरीर, पुत्र वियोग में चल बसे माता-पिता, हरे हुए परिजनों के जख्म

locationगाज़ियाबादPublished: Sep 25, 2021 10:48:44 am

Submitted by:

lokesh verma

उत्तराखंड के जोशीमठ में 16 साल पहले ड्यूटी के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए थे सेना के चार जवान, तीन के पार्थिव शरीर तो बरामद हो गए थे, लेकिन अमरीश त्यागी का पता नहीं चल पाया था।

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गाजियाबाद. मुरादनगर इलाके में रहने वाले सेना में तैनात अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर 16 साल बाद उत्तराखंड में बरामद हुआ है। जैसे ही इसकी जानकारी उनके परिजनों को मिली तो पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया और परिजनों के जख्म हरे हो गए। बताया जा रहा है कि बर्फ काटकर रास्ता बनाने के दौरान अमरीश का पार्थिव शरीर बरामद हुआ है, जो 16 साल बाद भी पूरी तरह सुरक्षित है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि पार्थिव शरीर आने पर पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, मुरादनगर के गांव हंसाली में रहने वाले राजकुमार के सबसे छोटे बेटे अमरीश त्यागी सेना में कार्यरत थे। करीब 16 साल पहले उत्तराखंड के जोशीमठ में ड्यूटी के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में 4 जवान लापता हो गए थे। इनमें से 3 जवानों के पार्थिव शरीर तो बरामद कर लिए गए थे, लेकिन अमरीश त्यागी का पता नहीं चल पाया था। तमाम प्रयास के बाद भी जब कोई जानकारी नहीं मिली तो आर्मी हेडक्वार्टर से उनका पूरा सामान उनके परिजनों को दे दिया गया। जिस वक्त वह लापता हुए थे उनकी शादी को महज एक साल ही हुआ था और रिकॉर्ड में उनको मृत दिखाकर उनकी पत्नी और परिजनों को मुआवजा भी दिया गया था।
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पुत्र वियोग में चल बसे माता-पिता

उधर, अमरीश के माता पिता हमेशा पुत्र वियोग में रहते थे। इसी के चलते पिता राजकुमार का 10 साल पहले माता विद्यावती का चार साल पहले निधन हो गया। अब गांव में अमरीश के सबसे बड़े भाई रामकिशोर और उनका बेटा दीपक रहते हैं। दीपक आयुध निर्माणी ने नौकरी करता है। अचानक अब 16 साल बाद शुक्रवार देर शाम दीपक के पास फोन आया कि तुम्हारे चाचा अमरीश का पार्थिव शरीर उत्तराखंड के हरसिल के पास बर्फ में दबा हुआ मिला है। दीपक ने तुरंत इसकी जानकारी परिजनों को दी और यह खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई।
16 साल बाद भी पार्थिव शरीर पूरी तरह सुरक्षित

दीपक का कहना है कि सेना के जवानों ने उन्हें बताया कि पहाड़ों पर बर्फ काटकर रास्ता बनाया जा रहा था। इसी दौरान अमरीश का शव बरामद हुआ है। उनकी पहचान उनकी नेम प्लेट बेल्ट से हुई है और सबसे बड़ी बात यह है कि पार्थिव शरीर पूरी तरह से सुरक्षित है। उम्मीद है कि मंगलवार या बुधवार तक अमरीश का पार्थिव सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव लाया जा सकता है। बहराल इस सूचना के बाद से उनके रिश्तेदार और परिवार के अलावा पूरे इलाके के लोगों के जख्म हरे हो गए हैं। एसडीएम आदित्य प्रजापति ने बताया कि अभी तक उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है और उनका पार्थिव शरीर आने पर पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
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