गाजियाबाद खतरा सिर्फ कम हुआ है टला नहीं है। यूपी में एक बार फिर से ब्लैक फंगस ( Black fungus ) सक्रिय हो रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि गाजियाबाद में सामने आए 12 मामले इसकी वकालत कर रहे हैं। कोरोना ( Corona virus ) से ठीक होने वाले लोगों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले रहा है। गाजियाबाद ( ghazibad ) में सामने आए 12 मरीजों में दस पुरुष और दो महिलाएं हैं। चिकित्सकों के अनुसार इनके जबड़े में ब्लैक फंगस दिखाई दिया। इलाज के दाैरान अधिकांश के जबड़े निकालने पड़े।
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गाजियाबाद के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने इसकी पुष्टि की। उन्हाेंने बताया कि, कोरोना से ठीक हुए मरीजों में हाई शुगर समेत अन्य बीमारी के लक्षण होते हैं तो ब्लैक फंगस ऐसे लोगों काे अपनी चपेट में ले रहा है। अभी तक आंख और दिमाग में ब्लैक फंगस होने के मामले सामने आ रहे थे लेकिन अब जिन मरीजों को हाई लेवल की शुगर होती है उनके जबड़े में भी ब्लैक फंगस हो रही है। उन्हाेंने बताया कि अकेले उनके क्लीनिक में दस पुरुष और दो महिलाएं आ चुकी हैं। इनके जबड़े में ब्लैक फंगस पाई गई। इनमें से अधिकांश का ऑपरेशन के बाद जबड़ा निकालाना पड़ा जबकि कुछ कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है। हाइ शुगर वाले रहे सावधान जिन मरीजों का शुगर लेवल 300 या 400 होता है और उन्हें कोरोना हो चुका है तो ऐसे मरीजों काे ब्लैक फंगस से सावधान रहना है। इसके लिए मुंह और चेहरे काे साफ रखें। शुगर काे नियंत्रित रखें। कुछ मरीजों में शुगर लेवल 700 के आस पस होता है। ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस तेजी से अपनी चपेट में लेता है।
आंख और दिमाग से अधिक घातक जबड़े का इंफेक्शन डॉक्टर त्यागी ने बताया कि जबड़े में होने वाला ब्लैक फंगस का उपचार आंख और नाक के फंगस के उपचार से ज्यादा महंगा है और इसका उपचार भी लंबा चलता है। इसके लिए मरीज को एनफोटेरिसिन- बी के करीब 90 इंजेक्शन देने की आवश्यकता पड़ती है और यह इंजेक्शन करीब 45 दिन तक दिए जाते हैं। जबकि आंख और नाक के मामले में महज 20 से 22 दिन तक मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं।