दरअसल, मूलरूप से उन्नाव के रहने वाले धर्मेंद्र का परिवार ट्रेन से चंडीगढ़ से उन्नाव जा रहा था। धर्मेंद्र की पत्नी गर्भवती थी। जैसे ही उनकी ट्रेन साहिबाबाद और गाजियाबाद के बीच पहुंची तो धर्मेंद्र की पत्नी को अचानक ही प्रसव पीड़ा होने लगी और वह दर्द से तड़पने लगी। आनन-फानन में ट्रेन में मौजूद रेलवे कर्मियों से मदद मांगी गई तो उन्होंने महज एंबुलेंस सेवा का नंबर दे दिया। धर्मेंद्र ने लगातार 139 नंबर पर कॉल की तो फोन नहीं मिला। इसके बाद भी ट्रेन में बैठे एक अन्य यात्री के सुझाव के बाद 108 और 102 एंबुलेंस सेवा पर कॉल करते हुए गाजियाबाद स्टेशन पर एंबुलेंस की मांग की गई। लेकिन, इसी बीच उसका दर्द बढ़ गया।
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ससुर की मौत तो घबराकर दामाद ने की आत्महत्या, शादी की खुशियां मातम में बदलीं फोन पर बताती रही नर्स और हो गई डिलीवरी ट्रेन अभी भी साहिबाबाद और गाजियाबाद के बीच ही थी। इस बीच ट्रेन के अंदर ही सफर कर रहे एक एंबुलेंस के चालक और अन्य महिलाओं ने मदद की। धर्मेंद्र के पास एक नर्स का नंबर था, जिससे महिलाओं और एंबुलेंस चालक की बात कराई। इसके बाद ट्रेन की बोगी में चादर लेकर पर्दा किया गया। जैसे-जैसे नर्स बताती रही, वैसे वैसे ही महिलाएं और एंबुलेंस चालक करते रहे। कुछ देर बाद ही धर्मेंद्र की पत्नी रवीना ने एक बच्ची को जन्म दे दिया। यह वाक्या कुछ हिंदी फिल्म थ्री इडियट की तर्ज पर हुआ।
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यूपी का आईटी हब बनेगा नोएडा, 700 कंपनियां कर रहीं निवेश, 1.5 लाख को मिलेगा रोजगार यात्रियों ने एक-दूसरे को बांटी मिठाई ट्रेन में दिल थामकर बैठे लोगों ने जैसे ही बच्ची की किलकारी सुनी तो उन्होंने भी बच्ची और उसकी मां के स्वस्थ होने की भगवान से कामना की। इसके साथ ही यात्रियों ने एक-दूसरे को मिठाई भी बांटी। बताया जा रहा है कि अब धर्मेंद्र अपने परिवार और नवजात बच्ची के साथ अपने घर उन्नाव पहुंच चुका है और दोनों ही पूरी तरह से स्वस्थ है। बहरहाल जिस तरह से धर्मेंद्र के परिवार पर यह वाक्य गुजरा वह भूलने के काबिल नहीं है।