गाज़ियाबाद

Ground Report-5 : मुस्कीम के जेल जाने से लाचार हुआ परिवार, घर का राशन भी हुआ खत्म

Ghaziabad Encounter : गाजियाबाद लोनी बॉर्डर क्षेत्र में 11 नवंबर को हुए चर्चित एनकाउंटर विवादों में घिरता जा रहा है। सपा विधायक से लेकर तमाम लोग सातों युवकों को बेकसूर बताते हुए एनकाउंटर को फर्जी बता रहे हैं। यह तो जांच के बाद ही साफ होगा कि एनकाउंटर सही में हुआ भी था या नहीं। इसी कड़ी में ‘पत्रिका’ संवाददाता ने गो तस्करी के पांचवें आरोपी युवक मुस्कीम के घर जाकर उसे बारे में जानकारी जुटाते हुए उसके परिजनों से विशेष बात की।

गाज़ियाबादNov 24, 2021 / 04:26 pm

lokesh verma

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गाजियाबाद. लोनी बॉर्डर क्षेत्र में 11 नवंबर को हुए चर्चित एनकाउंटर विवादों में घिरता जा रहा है। सपा विधायक से लेकर तमाम लोग सातों युवकों को बेकसूर बताते हुए एनकाउंटर को फर्जी बता रहे हैं। यह तो जांच के बाद ही साफ होगा कि एनकाउंटर सही में हुआ भी था या नहीं। लेकिन, इससे पहले हम यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर एनकाउंटर में पुलिस की गोली से घायल हुए युवक कौन हैं और उनका बैकग्राउंड क्या है। इसी कड़ी में ‘पत्रिका’ संवाददाता तेजेश चौहान ने बुधवार को गो तस्करी के पांचवें आरोपी युवक मुस्कीम के घर जाकर उसे बारे में जानकारी जुटाते हुए उसके परिजनों से विशेष बात की। पेश है ‘पत्रिका’ की ये ग्राउंड रिपोर्ट-
‘पत्रिका’ टीम मुस्तफाबाद पहुंची, जहां मुस्कीम का परिवार रहता है। वहां हमें मुस्तकीम के पांच छोटे बच्चे दिखे। मुस्तकीम के बारे में पूछने पर उन्होंने समझा कि शायद अब्बू की कोई खबर आई है। इसके बाद उन्होंने अम्मी को बुलाया। जब हमने मुस्तकीम की पत्नी फरीदा से मुठभेड़ का जिक्र हुए उसके बारे में पूछा तो वह बगैर कुछ बताए भावुक हो गई। फिर संभलते हुए कहा कि साहब मेरे पति बेगुनाह हैं, पुलिस ने बेवजह फंसाकर बच्चों को बेसहारा कर दिया है। बच्चे रोजाना अपने अब्बू को याद कर रोते हैं। फरीदा ने बताया कि मुस्तकीम का परिवार मूलरूप से बागपत छपरौली के मुकंदपुर का रहने वाला है। पिछले 12 साल से लोनी में ही किराए पर रह रहा हैं। जैसे-तैसे कर मुस्तकीम ने 50 गज में ये मकान बनाया है।
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फरीदा का कहना है कि माली हालत ठीक न होने के कारण एक भी बच्चे की पढ़ाई नहीं करा पाए हैं और मुस्तकीम मजदूरी कर परिवार का लालन पालन करते हैं। लॉकडाउन के कारण मुस्तकीम को मजदूरी का काम भी नहीं मिला तो किसी ने आकाश नगर के बड़े कबाड़ गोदाम पर 2 महीने पहले लगवाया था। फरीदा ने बताया कि दिन-रात कबाड़ के गोदाम पर काम होता था। फरीदा ने बताया कि वहां उन्हें रोजाना उतने ही पैसे मिलते थे, जितना वह काम करते थे। इसलिए कई बार वह ज्यादा पैसे कमाने के लिए रात को भी काम करते थे। 11 नवंबर को भी वह रात को कबाड़ के गोदाम पर ही रुके हुए थे। लेकिन, पुलिस ने वाहवाही लूटने के लिए रात को ही गोदाम चारों तरफ से घेरकर सभी लोगों के पैर में गोली मार दी और कई तरह के आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
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घर में राशन भी खत्म हो गया

फरीदा का आरोप है कि जब वह मुश्किल से मिलने पहुंची तो उन्हें पुलिस ने मिलने भी नहीं दिया। फरीदा का कहना है कि उनके घर में कमाई का कोई और जरिया नहीं है। केवल मुस्तकीम मजदूरी कर परिवार का पेट भरता है। फरीदा ने बताया कि अब उनके घर पर रखा राशन भी खत्म हो रहा है। उन्हें चिंता है कि बच्चों का पेट कैसे भरा जाएगा। इसके लिए फरीदा ने अपने रिश्तेदारों से भी गुहार लगाई है कि कम से कम बच्चों के खाने के लिए कुछ इंतजाम किया जाए। फरीदा का कहना है कि उसे पूरा विश्वास है कि जिस तरह के आरोप पुलिस ने उनके पति पर लगाए हैं। वह जांच के बाद बेबुनियाद साबित होंगे। उनका कोई अपराधिक इतिहास भी नहीं है।
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दिन-रात सताती है चिंता

फरीदा ने रोते हुए बताया कि वह जेल में अपने पति से मिलने गई तो वहां पर भी उनकी मिलाई नहीं हो पाई। उन्हें बताया गया कि आपके पास कोरोना की रिपोर्ट नहीं है। इसलिए मिलाई संभव नहीं है। फरीदा ने कहा कि उन्हें यह भी जानकारी नहीं है कि आखिर कोरोना की पर्ची किस तरह से और कहां से मिल पाएगी। उनके पास वकील को देने के लिए भी पैसे नहीं है। इसलिए वह दिन-रात यही सोचती है कि आखिर पति जेल से कब और कैसे घर वापस आएंगे।
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