यह भी पढ़ें-
आज तक नहीं छोड़ा काेई चुनाव फिर भी बची है जीत की उम्मीद, अब पत्नी के साथ पंचायत चुनाव में उतरे राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हसनूराम राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले जवान भी किसानों के बच्चे थे। सरकार की नीतियों के चलते भाई-भाई में टकराव हुआ। बता दें कि शहीद स्मारक के लिए भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर देशभर के राज्यों से किसान मिट्टी लेकर गाजीपुर बॉर्ड पहुंचे। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के आह्वान पर गुजरात के 33 जिलों के 800 गांवों की मिट्टी भी गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचाई गई। इसके साथ ही शहीद स्मारक के लिए एतिहासिक स्थलों के साथ शहीदों के गांव की मिट्टी भी लाई गई। ग्रामीण मिट्टी लेकर यूपी गेट पहुंचे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यूपी गेट पर तीन किसानों ने जान गंवाई है। जिनमें चौधरी गलतान सिंह, नवनीत सिंह और सरदार कश्मीर सिंह शामिल थे। टिकैत ने कहा कि उनको शीश नवाते हुए शहीद स्मारक की नींव रखी गई है। यह स्मारक किसान और जवान की शहादत की याद दिलाएगा। अस्थाई शहीद स्मारक का लोकार्पण राकेश टिकैत, मेधा पाटकर और कुमार सुनीलम ने दीप जलाकर किया। टिकैत ने कहा कि स्मारक के लिए प्रशासन किसानों को यहीं जमीन दे, अन्यथा वे लोग अपने स्तर पर स्थायी शहीद स्मारक का निर्माण करने को मजबूर होंगे।
राकेश टिकैत ने बताया कि जिस तरह से सरकार अपने अड़ियल रुख अख्तियार किए हुए है। उससे किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है और अब किसान अपने अपने इलाके की मिट्टी लाकर दिल्ली की सरहदों व सीमाओं में स्मारक बनाएंगे। दिल्ली की सरहदों पर किसानों के द्वारा बनाए गए किसान स्मारक हर किसी को किसानों के आंदोलन को याद दिलाते रहेंगे। इस दौरान राकेश टिकैत ने किसानों में एक बार फिर से ऊर्जा भरने का कार्य किया है।