scriptचर्चा: तो क्या चुनाव में हार के डर से रावण दहन करने नहीं पहुंचा कोई जनप्रतिनिधि | MP MLA not attend Ravan dahan due to political side effects myth | Patrika News
गाजीपुर

चर्चा: तो क्या चुनाव में हार के डर से रावण दहन करने नहीं पहुंचा कोई जनप्रतिनिधि

पिछले कई बार से जिस जनप्रतिनिधि ने गाजीपुर ऐतिहासिक रामलीला में किया रावण दहन वह अगला चुनाव हार गया।

गाजीपुरOct 10, 2019 / 08:53 am

रफतउद्दीन फरीद

Ravana Dahan

रावण दहन

गाजीपुर. 400 साल पुरानी ऐतिहासिक रामलीला का रावण दहन बड़े ही भव्य रूप में संपन्न हुआ। आसपास के जिलों से भी लोग विजयदशमी के दिन यहां का रावण दहन देखने पहुंचे। लेकिन इस बार रावण दहन किसी सांसद विधायक या मंत्री ने नहीं बल्कि जिले के अधिकारी ने किया। कोई जनप्रतिनिधि रावण दहन के कार्यक्रम में पहुंचा ही नहीं। चर्चा है कि ऐसा उस मिथक के चलते हुआ, जिसमें यह कहा जा रहा है कि पिछले कुछ सालों में जिस भी जनप्रतिनिधि ने यहां रावण दहन किया उन्हें सियासी तौर पर नुकसान उठा। मंत्री पद छिन गए, टिकट कट गए और अगर टिकट मिला भी तो चुनाव हार गए।
मंगलवार को विजयदशमी के मौके पर गाजीपुर के लंका मैदान में रावण दहन कार्यक्रम देखने के लिए एक हुजूम उमड़ा। था जनता से लेकर अधिकारी तक सब मौजूद थे लेकिन जनप्रतिनिधि नदारद। हालांकि पिछले सालों में रावण दहन कोई मंत्री सांसद या विधायक ही करते रहे हैं। पर इस बार न जिले के सांसद पहुंचे न कोई विधायक वहां दिखाई दिए। रावण दहन जिले के अधिकारी ने किया।
चर्चा है की जनप्रतिनिधि उस मिथक से डर गए, जो इस रावण दहन के साथ पिछले कुछ सालों जुड़ गया है। पिछले कुछ सालों से जी सांसद विधायक ने यहां विजयदशमी के दिन रावण दहन किया वह अपना चुनाव हार गए। 2007 में बसपा के टिकट पर पहली बार गाजीपुर की जमानिया विधानसभा क्षेत्र से जीतने वाले विधायक राजकुमार सिंह गौतम ने इस रावण दहन में हिस्सा लेकर रावण का वध किया और अगला चुनाव हार गए। 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहली बार गाजीपुर सदर विधानसभा से विजय मिश्रा को अखिलेश सरकार में धर्मार्थ कार्य मंत्री बना दिया गया उन्होंने भी इस रामलीला के रावण दहन में हिस्सा लिया और चुनाव से पहले ही न सिर्फ उनका मंत्री पद छीना बल्कि उन्हें समाजवादी पार्टी भी छोड़नी पड़ी और वह विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकें। पूर्व संचार और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भी पिछले वर्ष रावण दहन में हिस्सा लिया और 2019 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद वह लोकसभा का चुनाव हार गए। हालांकि यह एक इत्तेफाक भी हो सकता है लेकिन ऐसे मिथकों पर विश्वास करने वाले नेता कम नहीं। कुल मिलाकर यह चर्चा विजयदशमी के पहले ही चल रही थी कि शायद इस बार इस मिथक के चलते कोई जनप्रतिनिधि रावण दहन में हिस्सा न ली और हुआ भी ऐसा ही।
By. Alok Tripathi

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