मरने वालों का आंकड़ा सौ के पार
बज्रपात से मरने वालों का आंकड़ा सौ पार कर गया है। बिजली गिरने से झुलसे लोगों की इलाज के दौरान मौत हो जाने से संख्या बढ़ रही है। शुक्रवार को शेखपुरा में एक चरवाहे की वज्रपात से मौत हो गई। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ने इससे बचाव के उपायों पर जोर देते हुए विडियो जारी की और घरों से नहीं निकलने की जनता से अपील की है। प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर मरने वालों के प्रति शोक प्रकट किया।
यह है सबसे प्रभावित इलाके…
बारिश होने का सिलसिला शुक्रवार की सुबह से ही जारी है। प्रभावित जिलों गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, किशनगंज, अररिया, समस्तीपुर,छपरा, सीवान, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा,सीतामढ़ी, पूर्णियां, मधेपुरा, सहरसा, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों में सुबह से ही रुक रुककर तेज बारिश हो रही है। सरकार ने घर से बाहर न निकलने और बारिश वह वज्रपात के समय मोबाइल पर बात नहीं करने की हिदायतें जारी की हैं।
28 जून तक बारिश और वज्रपात का खतरा
उत्तर बिहार के अधिकांश जिलों में बारिश और वज्रपात का खतरा रविवार 28 जून तक बना रहेगा। इस दरमियान भारी बारिश भी होगी। दरअसल बिहार से लेकर राजस्थान तक ट्रफ लाइन बनने से राज्य में कन्वर्जेंस जोन बन गया है। यह जोन ऐसा क्षेत्र है जहां गर्म और ठंडी हवाएं आपस में टकराती हैं। गर्म और ठंडी हवाओं के टकराने से बिजली कड़कती और गिरती है जिसे बिहार में ‘ठनका’कहा जाता है।
पटना मौसम विभाग के वैज्ञानिक संजय कुमार कहते हैं कि मौजूदा समय में उत्तर बिहार के सीमावर्ती इलाकों में लगभग 3.5 किलोमीटर ऊंचाई पर बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमीयुक्त हवा और राजस्थान से आ रही शुष्क हवाएं टकरा रही हैं। इसके चलते ही बिजली कड़क रही और वज्रपात हो रहा है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो ठनका गिरने की घटनाएं वायुमंडलीय उथल पुथल से भी होती हैं। कोरोनाबंदी में प्रदूषण की मात्रा कम होने से वायुमंडल में बहुत उथल पुथल हुआ है। सामान्यतः मॉनसून के शुरुआती दौर में ठनका गिरने की घटनाएं खूब होती हैं।
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