साथ ही एयरपोर्ट को आवंटित हुए पूरे 42 एकड़ जमीन का उपयोग भी हो सकेगा। दरअसल अभी फोर्स का डीवीओआर होने की वजह से उसके 300 मीटर के क्षेत्र में न तो उड़ान संभव है और न ही किसी प्रकार का बिल्डिंग या कार्यालय। ऐसे में एयरपोर्ट का अपना डीवीओआर हो जाने से जमीन का पूरा उपयोग हो सकेगा।
एयरपोर्ट की खुद की डीवीओआर लग जाने से हवाई सुरक्षा प्रणाली और भी अधिक मजबूत होगी। नया डीवीओआर विश्व की आधुनिकतम तकनीक पर आधारित है जो दिल्ली, मुंबई जैसे देश के बड़े एयरपोर्ट पर इस समय इस्तेमाल हो रहा है। अभी एयरफोर्स के रडार से विमानों का संचालन होता है।
डीवीओआर सिस्टम लगाने के काम में पीडब्ल्यूडी की भी मदद मांगी गई थी। एयरपोर्ट का खुद का डीवीओआर अत्याधुनिक होने के साथ ही हाई-फ्रिक्वेंसी का होगा। ये सिस्टम विमानों को रास्ता तो दिखाएगा ही, साथ ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से विमानों को 100 किलोमीटर रेंज तक नियंत्रित कर सकेगा। ये रडार लैंडिंग और टेकऑफ में भी सहायक होगा।
इसके साथ ही कंप्यूटर पर रडार से टर्मिनल क्षेत्र में विमान की स्थिति, हवाई अड्डों के आसपास के हवाई क्षेत्र प्रदर्शित होता रहेगा। रडार हवाई अड्डे के 100 किमी के दायरे में विमान यातायात को नियंत्रित कर सकता है। इससे एटीसी व पायलट के बीच संपर्क काफी बेहतर हो जाएगा। एयरपोर्ट के रनवे के ऊपर आने के बाद लैंडिंग के दौरान लगने वाले समय में भी कमी आएगी। इससे विमानों की पहले से बेहतर ट्रैकिंग संभव होगी और एटीसी का काम भी अधिक सुविधाजनक हो जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर गोरखपुर एयरपोर्ट का 44 एकड़ में विस्तार किए जाने की तैयारी तेजी से चल रही है। एयरपोर्ट को जमीन मिल चुकी है। जमीन मिल जाने से जहां टर्मिनल का विस्तार होगा वहीं एप्रेन (जहाज की पार्किंग) की संख्या 10 हो जाएगी। इससे उड़ानों की संख्या बढ़ जाएगी और गोरखपुर एयरपोर्ट टर्मिनल भी लखनऊ और वाराणसी के समकक्ष खड़ा हो सकेगा। एयरपोर्ट विस्तार में चार गेट बनाए जाएंगे। इसी चार गेट से ही प्रवेश और निकासी होगी।