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गोरखपुर

बाहुबली पूर्व मंत्री से पूर्वांचल के ब्राह्मणों को साधेंगे अखिलेश-माया

 
लोकसभा चुनाव 2019

गोरखपुरMar 20, 2019 / 02:16 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

akhilesh mayawati

Akhilesh yadav

पूर्वान्चल की राजनीति में ब्राह्मण मतों को बटोरने के लिए महागठबंधन ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के सर्वमान्य ब्राह्मण नेता माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के परिवार पर दांव लगाया है। पूर्व मंत्री के पुत्र कुशल तिवारी संतकबीरनगर से महागठबंधन की ओर से चेहरा होंगे।
लोकसभा 2019 में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, निषाद दल, राष्ट्रीय लोकदल सहित कई दल एकजुट हो चुनावी समर में हैं। इस चुनाव में एकजुट यह दल बीजेपी हटाओ फॉर्मूले पर काम कर रही है। गठबंधन दलों के नेताओं का मानना है कि इस बार गठबंधन दल किसी प्रत्याशी विशेष के लिए नहीं मिलकर कौन जीतने की स्थिति में है इस पर नजर रखे हुए है।
चूंकि, गठबंधन को सामाजिक समीकरण को भी साधना है इसलिए बाहुबली पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी को खास तवज्जो मिल रहा है। वजह यह कि पूर्वान्चल के ब्राह्मणों में हरिशंकर तिवारी एक सर्वमान्य नाम है। उनको महागठबंधन अपने पाले में करके ब्राह्मण मतों को साधने में सफल हो सकता है।
राजनीतिक समीक्षकों की मानेें तो पंडित हरिशंकर तिवारी को आगे करने से विपक्ष बड़ा दांव चल रहा है। वह यह कि अगड़े वोटर्स का एक धड़ा वह प्रभावित कर सकते हैं। जानकारों की मानें तो पूर्वांचल में ब्राह्मण-क्षत्रिय वर्चस्व की लड़ाई काफी पुरानी है। सभी जानते हैं कि दशकों से पूर्वान्चल विशेषकर ब्राह्मण-ठाकुर के वर्चस्व की लड़ाई मंदिर (गोरखनाथ मंदिर) और हाता (पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का आवास) के बीच सिमटी रहती है। ऐसे में ब्राह्मण वोट इस बड़े नाम पर ठीक से साधा जा सकता है।
क्यों प्रासंगिक हैं हरिशंकर तिवारी

पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की गिनती यूपी के बाहुबली नेताओं में होती रही है। पूर्वांचल के चर्चित जनप्रतिनिधि के रूप में पहचान बनाने वाले पूर्व मंत्री के बारे में यह कहा जाता रहा है कि सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो सिक्का तो इनका ही चलता है। गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से आधा दर्जन बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के सबसे बड़े ब्राह्मण नेताओं में शुमार हैं। पूर्वांचल के कई सीटों पर उनका अच्छा खासा प्रभाव है। कई बार मंत्री रह चुके पंडित हरिशंकर तिवारी फिलहाल चुनावी राजनीति से दूर हैं लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। उनके छोटे सुपुत्र विनय शंकर तिवारी उनकी पारंपरिक सीट चिल्लूपार से विधायक हैं। यूपी में बीजेपी की लहर के बावजूद वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। बड़े पुत्र कुशल तिवारी 2009 में संतकबीरनगर से सांसद चुने गए थे। जबकि उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय कई बार एमएलसी रहे हैं। वह विधान परिषद के सभापति भी रहे हैं।

कुशल तिवारी रह चुके हैं सांसद

संतकबीरनगर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बड़े सुपुत्र भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी सांसद रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कुशल तिवारी हार गए थे। हालांकि हारने के बाद से वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। बसपा ने उनको संतकबीरनगर क्षेत्र का प्रभारी भी बना दिया है। अव्वल यह कि यह सीट सपा-बसपा समझौता में बसपा के पास ही है। ऐसे में पूर्व सांसद कुशल तिवारी का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है।
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