गोरखपुर के मानबेला के किसान एक पखवारे से अधिक समय से अपनी जमीन के मुआवजे के लिए आंदोलित हैं। किसानों की जमीन का मामला वर्ष 2008 से चल रहा था। किसान वाजिब मुआवजा की चाह में काफी दिनों से आस लगाए थे। कई साल के आंदोलन के बाद 2014 में बीजेपी की गोरखपुर में हुई चुनावी रैली में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित मुआवजे की आस जगाई थी। बीते विधानसभा चुनाव में भी मानबेला के किसानों को तत्कालीन सांसद
योगी आदित्यनाथ ने दिलासा दिया था। जब वह मुख्यमंत्री बने तो एक बार फिर किसान आंदोलित हुए। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं हस्तक्षेप कर मामले को सुलझवाया था।
यह भी पढ़ें- बीजेपी किसानों की गरीबी का उड़ा रही मजाकः दिग्विजय सिंह देव पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के बीच जाकर समझौता कराया था। इसके बाद किसान 70 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की रेट पर जमीन देने को राजी हो गए थे। गोरखपुर विकास प्राधिकरण व किसानों के बीच सुलह भी हो गई। लेकिन जीडीए ने जब समझौते का प्रारूप जारी किया तो उसमें मुआवजे पर ब्याज की कटौती का एक प्राविधान जोड़ दिया गया। इसके बाद से फिर से मानबेला के किसान आंदोलित हो गए।
आंदोलन अब तूल पकड़ने लगा है। बीते दिनों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर सहित कई कांग्रेसी आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे थे। राजबब्बर ने किसानों की कानूनी लड़ाई खुद अपनी ओर से लड़ने का ऐलान भी किया था। क्रमिक अनशन पर सरकार द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं होने पर अब किसानों ने आमरण अनशन का फैसला किया है। 21 सितंबर से किसान अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।
यह भी पढ़ें- बीआरडी हादसाः पुष्पा सेल्स का मालिक मनीष भंडारी गिरफ्तार इसको लेकर आज किसानों ने एक प्रतीकात्मक जुलूस निकाला था। जीडीए की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाले किसानों को कैंट क्षेत्र के रोकने की कोशिश पुलिस ने की। जबर्दस्ती रोकने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग की भी कोशिश की लेकिन किसान नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर प्रदर्शनकारी किसानों को खदेड़ा। प्रदर्शन के दौरान भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।