इसके लिए बाकायदा शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। जिलाधिकारियों और विभागीय जिम्मेदारों को तीन माह के भीतर रिपोर्ट देने के आदेश दिए जा चुके हैं। जिला स्तर पर इसके क्रियान्वयन के लिए 31 जनवरी 2018 तक की तिथि नियत की गयी है। निदेशक पंचायती राज/मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वारा 12 अक्टूबर को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि इसकी जिम्मेदारी क्षेत्र के बीडीओ व एडीओ पंचायतों को जिम्मेदार बनाया जाए।
डीएम ने भी इस बावत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। तीन महीने का समय है निर्धारित बाल मैत्री शौचालय के उन्मुखीकरण, सर्वेक्षण व जीपीडीपी में शामिल करने के साथ विकसित करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। शासन स्तर पर संज्ञान लिये जाने के बाद जिला प्रशासन ने इस पर पहल शुरू की है। डीएम ने जिले के सभी बीडीओ व एडीओ पंचायतों को पत्र लिखकर स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूर्व में बने शौचालयों की लिस्ट मांगी है। मरम्मत, जीर्णोद्धार व विस्तार किए जाने संबंधी देने के साथ ही 31 जनवरी 2018 तक कार्य योजना तय करने को भी निर्देशित किया गया है।
बच्चों में शौचालय उपयोग की आदत के लिए है पहल मैत्री शौचालय निर्माण के पीछे नौनिहालों में शौचालय उपयोग की आदत डालनी है। यही वजह है कि स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में समुचित स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध करने का प्रयास शुरू किया गया है। मॉनिटरिंग प्रदेश व मंडल स्तर पर बाल मैत्री शौचालय निर्माण की मॉनिटरिंग के लिए प्रदेश और मंडल स्तर पर कंसल्टेंट नामित हैं। यह अधिकारियों को जरूरी सलाह मशविरा भी देंगे। उनकी देखरेख में इस योजना को परवान चढ़ाया जाएगा।
input- धीरेंद्र गोपाल