बता दें कि जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह काफी समय से इस बाबत मांग कर रहे थे। वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का ये आदेश आते ही उन्होंने इसे लेकर खुशी जताई और ट्वीट कर कहा कि ये काफी पुरानी मांग थी और उन्हें ख़ुशी है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भी यमुना प्रधिकरण की तरह स्थानीय लोगों को रोजगार देने की पहल की है। वहीं दादरी विधायक तेजपाल नागर ने भी ट्वीट किया और लिखा कि सबसे पहले उन्होंने ही विधानसभा में इस पर सवाल उठाया था। यह फरमान युवाओं को रोजगार देने में ‘मील का पत्त्थर’ साबित होगा और इसके लिए उन्होंने सीएम योगी और उद्योग मंत्री सतीश महाना को धन्यवाद दिया।
कोर्पोरेट सेक्टर ने किया विरोध ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के इस फैसले का कोर्पोरेट सेक्टर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे प्राइवेट कंपनियों की मुसीबत बढ़ेगी और कंपनियों के कामकाज पर इस असर पड़ेगा। ग्लोबल एसोसिएशन फॉर कॉर्पोरेट सर्विसेज (जीएसीएस) के फाउंडर मेंबर समीर सक्सेना ने कहा कि अधिकारियों को ये भी स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर लोकल लोग कौन हैं। इस आदेश के मुताबिक लोकल लोग वह हैं जो यहां पिछले कई वर्षों से रह रहा है, जिसका घर यहां है या फिर जिसका गांव यहां है।
ग्रेटर नोएडा में कंपनियां आने से बचेंगी एक कॉर्पोरेट फर्म में बड़े अधिकारी और जीएसीएस के सदस्य राहुल लाल ने कहा कि प्राधिकरण का जो यह आदेश आया है उससे कंपनियां ग्रेटर नोएडा में अपना ऑफिस खोलने से बचेंगी। सरकार की दखलंदाजी ऐसे आदेशों से प्राइवेट कंपनियों में बढ़ेगी। इंडस्ट्री को बिजनेस के लिए अच्छे कर्मचारियों की जरूरत है।