सऊदी प्रेस एजेंसी ने खबर में कहा कि यह रिएक्टर सऊदी अरब का पहला रिएक्टर होगा। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि ये रिएक्टर किस तरह का होगा। इस बात पर भी सस्पेंस बना हुआ है कि इस रिएक्टर का उद्देश्य क्या होगा। इसका इस्तेमाल परमाणु शोध और परमाणु हथियार विकास के लिए किया जाएगा या नहीं, इस बारे में भी कुछ नहीं बताया गया है।
इस परमाणु रिएक्टर को सऊदी अरब के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है। बता दें कि सऊदी अरब पूरी दुनिया में तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है। फिलहाल सऊदी अरब अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए तेल और प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। कहा जा रहा है कि सऊदी अरब की अगले दो दशक में 16 परमाणु रिएक्टर बनाने की योजना है। एक अनुमान के अनुसार सऊदी अरब द्वारा इस परियोजना पर 80 अरब डॉलर खर्च किया जाएगा।
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क्या होगा अमरीका का रुखमाना जा रहा है कि सऊदी अरब के रिएक्टर बनाने से सबसे अधिक दिक्कतें अमरीका को होने वाली हैं। अमरीका पहले भी सऊदी अरब की ऐसी किसी भी योजना पर आपत्ति उठा चुका है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमरीका उस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगा चुका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमरीका सऊदी अरब के फैसले को किस नजर से देखता है।