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गुना

कृपया कोई नेता वोट मांगकर शर्मिंदा न करें!

आरोन. एससी-एसटी एक्ट को लेकर सरकार द्वारा संसद में लाए गए कानून के विरोध में अब पनवाड़ी हाट के ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है। पूरे गांव में पोस्टर लगाकर नेताओं को वोट मांगकर शर्मिंदा न करने की हिदायत दी है।

गुनाAug 29, 2018 / 02:32 pm

chandan singh rajput

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Expelled from party on Independent Elections

आरोन. एससी-एसटी एक्ट को लेकर अब भी लोगों का विरोध थम नहीं रहा है। सरकार द्वारा संसद में लाए गए कानून के विरोध में अब पनवाड़ी हाट के ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है। पूरे गांव में पोस्टर लगाकर नेताओं को वोट मांगकर शर्मिंदा न करने की हिदायत दी है। हालांकि इसमें किसी पार्टी विशेष का उल्लेख नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट के संबंध में निर्णय देने के बाद से ही इसको लेकर आंदोलन व प्रदर्शनों का दौर जारी है। पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर विरोध हुआ और अब सरकार द्वारा फैसले के उलट कानून लाने पर विरोध हो रहा है। पनवाड़ी हाट में छोटे-बड़े दर्जनों पोस्टर लगाए गए हैं।
जिसमें लिखा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हैं और संसद द्वारा बनाए गए कानून का विरोध। यह गांव सामान्य, पिछड़ा वर्ग व अल्प संख्यक वर्ग का है, कृपया कोई भी यहां आकर नेता वोट मांगकर शर्मिंदा न करंे।
रैली निकालकर लिया संकल्प
गांव में एक रैली भी निकाली गई और एक सभा आयोजित कर एक्ट का विरोध करने का संकल्प भी लिया गया और नारेबाजी की गई। ग्रामीणों ने कहा कि विरोध स्वरूप वे नोटा को वोट करेंगे। यह किसी राजनैतिक दल का नहीं, बल्कि सिस्टम का विरोध है। इस दौरान बड़ी संख्या में युवा उपस्थित रहे।

बंद रहे प्राईवेट स्कूल, सौंपा ज्ञापन
गुना. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के आव्हान पर प्राईवेट स्कूलों को बंद रखा गया। इसके साथ ही कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा। एसोसिएशन की ओर से मांगे पूरी न होने पर ५ सितंबर से अनिश्चितकालीन स्कूल बंद की चेतावनी भी दी है। मधुसूदनगढ़ में स्कूल संचालकों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र प्रताप द्विवेदी ने बताया कि प्राईवेट स्कूलों में फीस नियंत्रण के लिए निजी विद्यालय फीस नियंत्रण अधिनियम को मप्र के राजपत्र में प्रकाशित किया है। यह बिल्कुल व्यवहारिक नहीं है। जिस पर हजारों आपत्तियां दर्ज करवाई जा चुकी हैं।
इस विधेयक से प्रदेश के हजारों स्कूल ताला बंदी का शिकार होंगे। जिससे उनमें काम कर रहे लाखों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे और करोड़ों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में आ जाएगा। विधेयक बड़े स्कूलों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, छोटे-मझौले स्कूलों की अनदेखी की गई है। साथ ही बायोमैट्रिक पद्धति से फीस प्रतिपूर्ति से ९० प्रतिशत स्कूल को भुगतान नहीं हो पाया है। इसे लागू करने से पहले कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। प्रदेश में आरटीई के तहत प्रति छात्र ४४१९ रुपए फीस प्रतिपूर्ति की जा रही है, जो प्राईवेट स्कूलों के साथ अन्याय है। दूसरे प्रदेशों में २० हजार तक भुगतान किया जा रहा है। अन्य समस्याएं निजी स्कूल संचालकों ने बताईं। सरकार की मानमानी के खिलाफ जनता के बीच जाकर मांगों के समर्थन में जन जागृति अभियान चलाने की बात कही है।

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