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Action: कभी भी टपक सकती है हॉस्टल की बिल्डिंग, उगल रही घोटाले का राज, प्रवेश के लिए भटक रहे बच्चे

आदिम जाति का मामला: विद्यार्थी बोले-ऐसा मिलता है खाना, जिसे जानवर भी नहीं खाते

गुनाJul 20, 2019 / 10:45 pm

Manoj vishwakarma

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Action: कभी भी टपक सकती है हॉस्टल की बिल्डिंग, उगल रही घोटाले का राज, प्रवेश के लिए भटक रहे बच्चे

गुना. जिला स्तरीय उत्कृष्ट छात्रावास की बिल्डिंग Action दो साल में ही जर्जर हो गई है। इमारत में ६० से ज्यादा दरार आ गईं और ईंट निकलने लगी हैं। इससे हादसे का डर सताने लगा है कि कहीं ये बिल्डिंग student टपक न जाए। ऐसी जर्जर स्थिति में पहुंचा ये भवन खुद घोटाले का राज उगल रहा है।
छात्रावासों में बच्चोंं को गुणवत्ता पूर्ण भोजन नहीं मिल पा रहा है। भोजन और तेल-साबुन का पैसा भी अधीक्षक और अफसर मिलकर डकार रहे हैं। इसको ही डकारने के उद्देश्य से बीते रोज म्याना स्थित सर्व शिक्षा अभियान के हास्टल में अधीक्षक व रसोईया के बीच राजनीति हुई, जिसमें बच्चों को लेकर अधीक्षक के विरुद्ध शिकायत करने के लिए कलेक्ट्रेट तक लाए। इसी तरह आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक का कुछ अधीक्षकों पर संरक्षण प्राप्त है, जिससे वे अधीक्षक नियम-कायदे भी मानने को तैयार नहीं हैं।
छात्रों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, खाना इतना घटिया मिलता है, जिसे जानवर भी ना खाएं। कभी दाल पतली हो जाती है तो कभी कच्ची रोटी परोस दी जाती हैं। तेल साबुन भी महीनों तक नसीब नहीं होता। आदिम जाति कल्याण विभाग के ७२ हास्टल हैं, सभी में अक्सर इसी तरह का आलम देखने को मिलता है। पत्रिका नेे शनिवार को शहर में संचालित आधा दर्जन हॉस्टलों का जायजा लिया, जहां सभी जगह कुछ ना कुछ कमियां नजर आईं। नियम विरुद्ध बालिकाओं के हॉस्टल में पुरुष कर्मचारियों का कब्जा है, जिसको हटाने का साहस अभी तक कोई भी अधिकारी नहीं कर पाया है।
यहां स्टाफ ही गायब, कैसे हो पढ़ाई

आदिवासी बालक आश्रम में ६ लोगों का स्टाफ है। लेकिन शनिवार को दोपहर १.३० बजे यहां पर केवल मंगल सिंह शर्मा नाम के सहायक अध्यापक मिले। यहां से तीन भृत्य लल्लीराम, डालचंद, लालजीराम सेन के साथ प्रभाकर राव और नफीस अहमद गायब थे। अधीक्षक भी अपने कक्ष में नहीं रुकते। जबकि ५वीं तक के बच्चे रहते हैं। लेकिन विभाग के अफसर यहां ध्यान नहीं देते।
प्रवेश के लिए भटक रहे छात्र

उधर, उत्कृष्ट हास्टल में ५० सीटों पर छात्रों के प्रवेश होना है। १६ बच्चे बीते सत्र के हैं और ३४ सीटों पर प्रवेश के लिए ३० जून को परीक्षा हुई, लेकिन रिजल्ट अब तक तैयार नहीं हो पाया। बच्चे प्रवेश के लिए भटक रहे हैं। शनिवार को यहां दो छात्र प्रवेश का पूछने पहुंचे, लेकिन उनको संतोषजनक जानकारी नहीं दी गई। विमुक्त जाति का हास्टल एक साल से बंद पड़ा है और विभाग के काम कागजों में पूरे हो रहे हैं।
ये बोले जिम्मेदार

कन्या हॉस्टलों में पुरुष कर्मचारियों हटाया जाएगा। उत्कृष्ट में बच्चों के प्रवेश की फाइल दो दिन में पूर्ण हो जाएगी। सभी हास्टलों में ३१ जुलाई तक प्रवेश दे दिए जाएंगे। उत्कृष्ट हास्टल के भवन हैंडओवर में कोई लापरवाही बरती है, तो उसकी जांच कराई जाएगी और भोजन की गुणवत्ता के लिए निर्देश दिए देता हूं।
बीके माथुर, संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग

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