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एक साथ दो ‘परीक्षाओं’ में हासिल की कामयाबी, टॉपर के संघर्ष की कहानी

माता पिता की सेवा करने वाले श्रवण कुमार की कहानी तो सभी ने सुनी है लेकिन रियल लाइफ के श्रवण कुमार के बारे में हम आपको बताते हैं…

गुनाJul 04, 2020 / 08:36 pm

Shailendra Sharma

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गुना. जिंदगी ने पल पल उसका इम्तिहान लिया लेकिन उसका विश्वास नहीं डिगा और उसने कड़ी मेहनत और लगन से अपना मुकाम हासिल किया। ये कहानी है गुना के पवन गर्ग की। पवन गर्ग ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा में प्रदेश की मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया है। पवन की सफलता की कहानी इसलिए काफी अहम है क्योंकि उसने बोर्ड की परीक्षा के साथ साथ जिंदगी की परीक्षा भी पास की है।
खाना पकाकर परीक्षा देने जाता था पवन
प्रदेश की मैरिट लिस्ट में आने वाले पवन गर्ग के पिता विजय भार्गव पुजारी हैं और घर-घर जाकर पूजा पाठ करते हैं। पूजा पाठ से जो कमाई होती है उसी से परिवार का पालन पोषण होता है। जब परीक्षा की तारीख नजदीक आई तो पवन के परिवार पर एक ऐसी विपदा आन पड़ी जिससे उभर पाना आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार के लिए आसान नहीं था। लॉकडाउन से ठीक एक महीने पहले पवन की मां बीमार हो गईं। डॉक्टर्स ने बताया कि उनके पेट में ट्यूमर है। मां ने बिस्तर पकड़ लिया, परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी लेकिन इसके बावजूद पवन के पिता ने मां का इलाज कराया। बेटे पवन ने भी श्रवण कुमार बनकर माता-पिता का साथ दिया। हर मुश्किल घड़ी में वो माता-पिता के साथ खड़े रहे। बीमारी के वक्त मां की खूब सेवा की और पढ़ाते करते रहे। यहां तक रोजाना पूरे परिवार का खाना भी पवन ही बनाते थे और परीक्षा की तैयारी भी करते। पेपर्स के दौरान भी पवन पूरे परिवार का खाना बनाते थे और परीक्षा भी देते थे। जिंदगी की परीक्षा और बोर्ड परीक्षा दोनों एक साथ पवन दे रहे थे और अब जब बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट आया तो वो दोनों परीक्षाओं में पास हो गए।
पीएससी पास कर अधिकारी बनना चाहते हैं पवन
दो बेटों में बड़ा होने के कारण पवन ने कभी भी हार नहीं मानी, गरीबों को हथियार बनाया और मेहनत कर कामयाबी की सीढी चढ़ गए। बीमार मां और घर की माली हालत के बावजूद पवन जिंदगी की परीक्षा में पास हो गए। बीमार मां की सेवा करने के साथ साथ पुजारी पिता की मदद की और खूब मन लगाकर पढ़ाई की। पवन ने बताया कि वो पीएससी की परीक्षा पास कर अधिकारी बनना चाहते हैं।
पिता ने कहा बेटे पर गर्व है
पवन की इस कामयाबी से उनके पिता विजय भार्गव काफी खुश हैं। वो बताते हैं कि गरीबी में जीवनयापन करने के बावजूद पवन ने कभी हार नहीं मानी। बीमार मां की खूब सेवा की और मन लगाई कर पढ़ाई करते हुए अब प्रदेश की टॉपर लिस्ट में शामिल हुआ उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।

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