200 न्यायाधिकरण स्थापित किए ( 200 Hundred Tribunal )
राज्य सरकार ने एनआरसी में नाम न रहने वाले लोगों की सहूलियत के लिए नए 200 विदेशी न्यायाधिकरण के लिए नियुक्तियां की। फिलहाल राज्य में सौ विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं। एनआरसी कार्यालय से अब तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि कब तक वह नामों को अस्वीकृत करने की स्लीप देगा। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) एनआरसी पर अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
अधर में लटका है भविष्य
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संसद में दिए बयान के बाद असम की एनआरसी का भविष्य अधर में अटका हुआ है। किसी को पता नहीं है कि कब इनका कार्य शुरु होगा। नए न्याय़ाधिकरणों के लिए नियुक्त सदस्यों का भविष्य भी अनिश्चति हो गया है। एनआरसी के प्रकाशन के साथ ही सरकार ने 200 विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित करने की प्रक्रिया शुरु की थी। इसके तहत एनआरसी में नाम न रहने वाले 19 लाख लोग आवेदन करेंगे, इसलिए विदेशी न्यायाधिकरणों की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया गया था।
अस्वीकृति की स्लीप नहीं मिली
एनआरसी कार्यालय ने पहले स्पष्ट किया था कि एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित होने के एक महीने के अंदर ही अस्वीकृत करने की स्लीप दी जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हाजेला का तबादला डेपुटेशन पर मध्यप्रदेश कर दिया गया। लंबे समय बाद अब जाकर नए राज्य समन्वयक हितेश देव शर्मा ने कार्यभार संभाला है। सरकार का मानना है कि जब तक एनआरसी कार्यालय से अस्वीकृत स्लीपें जारी नहीं होती तब तक नए विदेशी न्यायाधिकरणों के कार्यक्षम करने का कोई फायदा नहीं है।
ढांचागत सुविधाएं नहीं
नए विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति हो चुकी है। इनकी नियुक्ति एक साल के लिए हुई है। वहीं तीसरे और चतुर्थ श्रेणी के 1800 कर्मचारियों का चयन किया गया है। लेकिन उन्हें नियुक्त नहीं किया गया है। विदेशी न्यायाधिकरणों के लिए कार्यालय और ढांचागत व्यवस्थाएं की गई है। पर ये कार्यक्षम नहीं होने से इनका चलना मुश्किल होगा।