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कमेटी के अध्यक्ष सेवानिवृत न्यायाधीश विप्लव कुमार शर्मा हैं। कमेटी ने विभिन्न संगठनों और लोगों से मिले विचारों को जानने के बाद विधानसभा, लोकसभा, स्थानीय निकायों में स्वदेशी लोगों के लिए आरक्षण, भूमि अधिकार संरक्षित करने, भाषा-साहित्य-संस्कृति की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण अनुशंसाएं करने का फैसला किया है।
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कमेटी का कार्यकाल 15 जनवरी को खत्म हुआ तो केंद्रीय गृहमंत्रालय ने और एक महीने के लिए कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में नई दिल्ली में कमेटी के अध्यक्ष समेत कई सदस्यों से मुलाकात की और कमेटी के कामकाज की प्रगति का जायजा लिया। शाह ने कमेटी से कहा कि वे ऐसी अनुशंसाएं करें कि जिनको लागू किया जा सके।कमेटी के अध्यक्ष न्यायाधीश शर्मा ने विश्वास जताया है कि वे तय समय पर अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे। रिपोर्ट सौंपने के पहले अटार्नी जनरल से विचार-विर्मश करेंगे।
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मालूम हो कि केंद्र सरकार ने असम समझौते के छठे अनुच्छेद के तहत असमिया लोगों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने का वायदा किया है। राज्य में नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ अहिंसक आंदोलन जारी है।ऐसे में केंद्र कमेटी की अनुशंसा के अनुसार राज्य के स्वदेशी लोगों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान कर आंदोलन का खत्म करने की कोशिश में है।पर अखिल असम छात्र संघ(आसू) के मुख्य सलाहकार डॉ.समुज्जवल भट्टाचार्य ने पहले ही कह दिया है कि असम समझौते के छठे अनुच्छेद के तहत स्थानीय स्वदेशी लोगों को संवैधानिक रक्षा कवच देना उसकी जिम्मेवारी है।इसको लेकर सीएए के साथ सौदेबाजी करना सही नहीं। हम इसके खिलाफ हैं।