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ग्वालियर

400 दिन पहले किया था 30 दिन में 13 लाख लोगों को राहत देने का वादा, अभी तक नहीं हो पाया पूरा

-पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित तीन मंत्रियों का वचन गया बेकार

ग्वालियरMar 09, 2020 / 11:21 am

Dharmendra Trivedi

400 days ago, promised to give relief to 13 lakh people in 30 days, not yet fulfilled

400 days ago, promised to give relief to 13 lakh people in 30 days, not yet fulfilled

ग्वालियर। जाम से निजात दिलाने के लिए 28 जनवरी 2019 को पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश के केबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, लाखन सिंह यादव और इमरतीदेवी की मौजूदगी में शहर के 21 अति व्यस्त स्थानों पर लगने वाले जाम से निजात दिलाने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए प्रशासन, नगर निगम, स्मार्ट सिटी, परिवहन, पुलिस और यातायात विभाग को जिम्मेदारी दी गई थी। व्यवस्था को सही करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था। शहर के 13 लाख लोगों की सुविधा के लिए सिंधिया के इस वादे को अधिकारी 400 दिन बीतने के बाद भी पूरा नहीं कर पाए हैं। खास बात यह है कि सिंधिया द्वारा बताए प्लान में से एक पर जो अमल हुआ है, वह भी अधूरा है।


दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गठन होने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधियया ने कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक ली थी। 28 जनवरी को हुई इस बैठक में तत्कालीन कलेक्टर, निगमायुक्त,अपर कलेक्टर, एसपी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। इन सभी अधिकारियों को प्रदूषण को नियंत्रित करने, यातायात में सुधार करने सहित अन्य निर्देश दिए गए थे। इस दौरान सिंधिया ने कहा था कि एक महीने बाद में काम की प्रगति की समीक्षा करेंगे लेकिन न तो व्यवस्थाएं सुधरी हैं और न ही सांसद को समीक्षा लेने की सुध आई है।

 

पीक ऑवर्स में नहीं सुधरी स्थिति


अस्तव्यस्त शहर की स्थिति को ठीक करने के लिए खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, विधायक प्रवीण पाठक और मुन्नालाल गोयल कलेक्टर अनुराग चौधरी, एसपी नवनीत भसीन, निगमायुक्त संदीप माकिन के साथ पीक ऑवर्स में शहर के जाम को परखने के लिए एक साल में 10 से ज्यादा चक्कर लगा चुके हैं। हर निरीक्षण के बाद अधिकारियों ने सुधार के लिए निर्देश दिए। इसके बावजूद नगर निगम, यातायात और प्रशासनिक कर्मचारी अमल करते नजर नहीं आ रहे हैं।

 

कोचिंग सैंटर्स के बाहर की स्थिति भी खराब


पूर्व केन्द्रीय मंत्री के निर्देशों के बाद तत्कालीन और वर्तमान कलेक्टर ने नगर निगम अधिकारियों से कहा था कि कोचिंग सैंटर, स्कूल और लैफ्ट टर्न को प्रभावित करने वाली शराब की दुकान, पान की दुकान, चाट के ठेले आदि हैं, उन सभी को हटाया जाए। इनमें से अधिकारियों ने ठेले हटवा दिए लेकिन लैफ्ट टर्न अभी भी टैंपो चालकों के कब्जे में रहता है।

 

ये वादे जो नहीं हो पाए पूरे


वादा-1

-शहर में सडक़ों का बुरा हाल है, इन्हें ठीक किया जाना है।

परिणाम
-नगर निगम ने मिट्टी और मुरम भरकर लीपापोती करवा दी, शहर के अधिकांश नवविकसित क्षेत्रों में सडक़ों की स्थिति खराब है।

 

वादा-2


-शहर के प्रवेश मार्गों की सडक़ों के सभी गड्ढे भरवाकर समतल किया जाए।

परिणाम
-नगर निगम और पीडब्ल्यूडी ने फौरी तौर पर गड्ढों में मिट्टी और अतिक्रमण हटाने से निकला मलबा गड्ढों में भरवा दिया। बाद में सफेद गिट्टी भरवा दी। गिट्टी टायरों के साथ लगकर निकल गई और मिट्टी बारिश में बह गई अब यह गड्ढे और खतरनाक हो गए हैं।

 

वादा-3


-शहर की हर व्यस्त और प्राइम सडक़ पर कैट आइज लगाई जाएं।

परिणाम
-शहर के प्रमुख चौराहा फूलबाग सहित अन्य सडक़ों पर कैट आइज लगाने के नाम पर औपचारिकता हुई है।

 

वादा-4


-शहर में कचरे का बेहतर प्रबंधन होना चाहिए, ताकि शहर स्वच्छ रहे।

परिणाम
-नगर निगम अधिकारियों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण के समय श्हर को स्वच्छ दिखाने का प्रयास किया था। लेकिन कचरा प्रबंधन फिर भी नहीं कर पाए थे। वर्तमान में लगभग हर सडक़ के आसपास कचरे के ढेर मिल सकते हैं।

 

वादा-5
-प्रदूषण नियंत्रण के लिए गंभीर प्रयास किए जाएं।

परिणाम
-लगभग हर सडक़ पर काला धुआं छोडऩे वाले वाहन आम जन की सांसों को कम करने में लगे हैं। सडक़ सुरक्षा एवं यातायात समिति चार बैठकों में काला धुआं छोडऩे वाले टैंपो को शहर से बाहर करने का प्रस्ताव आ चुका है। पिछले महीने हुई बैठक में भी सभी पुराने टैंपो को बाहर करने पर सहमति बनी थी। अभी तक सिर्फ महाराजबाड़ा को नो टैंपो ऑटो जोन बनाने के लिए कुछ काम शुरू हुआ है, बाकी की जगहों पर हालात खराब हैं।

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