दरअसल, देश की राजधानी से जनसंख्या का दबाव कम करने के लिए विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के जरिए शहर के पास लगभग 25 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र तय कर नया शहर विकसित करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना को 27 साल पूरे हो चुके हैं। इस अवधि में बिजली, सीवर, सडक़ों पर लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन आमजन का विश्वास हासिल किए बिना की गई यह प्लानिंग अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाई और इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया गया खर्च व्यर्थ साबित हुआ है। वर्तमान स्थिति यह है कि सीवर लाइन कई जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है, सडक़ें उखड़ चुकी हैं और बिजली के ट्रांसफार्मर बिना लगे ही कबाड़ में बदल गए हैं। हर बजट में 2 से 3 करोड़ रुपए का प्रावधान करने के बाद भी यहां बने 364 आवासों में अब तक कोई परिवार रहने नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष में 73503३.95लाख रुपए की आय बताई गई थी और 73276.03 लाख रुपए का व्यय बताया गया था। इस बार के बजट में ज्यादा कुछ न करके अब विकास योजना-2031 पर काम करने की बात कही गई है। जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि 181 गांवों को मिलाकर 75 हजार हैक्टेयर जमीन पर विकास किया जाएगा।
योजनाओं पर हुआ निवेश जा रहा बेकार ईडब्ल्यूएस भवन निर्माण
288 आवासों का निर्माण करने 22 दिसंबर 2014 को आदेश हुआ था। 22 जून 2016 को काम पूरा होना था।
13 करोड़ 84 लाख रुपए की इस योजना पर अभी तक 2 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए हैं, लेकिन अधिकारी यहां की जमीन के सीमांकन का विवाद भी खत्म नहीं करवा पाए हैं।
सौजना हाउसिंग प्रोजेक्ट
236 आवास तैयार करने के लिए 16 नवंबर 2011 को आदेश हुआ था और 31 दिसंबर 2015 को काम पूरा होना था।
45 करोड़ 17 लाख रुपए से अधिक लागत आई थी, यहां के आवास बन चुके हैं, इसके बावजूद अभी तक किसी को यहां रहने के लिए आकर्षित नहीं किया जा सका है।
बरा आवासीय योजना
30 जून 2014 को आदेश हुआ। काम 31 मार्च 2016 तक पूरा होना था। लागत 8 करोड़ 5 लाख आंकी गई थी।
योजना के अंतर्गत 250 फ्री होल्ड प्लॉट विकसित होने हैं।
अब तक 1 करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक खर्च हो गए हैं।
एलआईजी
128 भवन बनाने के लिए 28 अगस्त 2012 को आदेश हुआ था।
लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी आवासों के लिए सीवर, पेयजल आदि की सुविधा बेहतर नहीं हो पाई है।
योजना के अंतर्गत बनाए गए आवासों का आवंटन हो चुका है, लेकिन साडा प्रबंधन लोगों को यहां रहने के लिए तैयार नहीं कर सका।