ग्वालियर

बार कोड स्कैन करते ही मिलेगी चिडिय़ाघर के पक्षियों की जानकारी

पहले पक्षियों की प्रजाति के बारे में जानने के लिए पर्यटकों को नेम प्लेटों का सहारा लेना पड़ता था, जिसमें विस्तृत जानकारी नहीं होती थी और काफी खर्च भी आता था। अभी जो बार कोड बनाए गए हैं, वे काफी सस्ते हैं। इनकी सहायता से पक्षियों की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

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बार कोड स्कैन करते ही मिलेगी चिडिय़ाघर के पक्षियों की जानकारी,बार कोड स्कैन करते ही मिलेगी चिडिय़ाघर के पक्षियों की जानकारी

ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय के एनवायरनमेंट साइंस के छात्र विकास पाराशर ने चिडिय़ाघर के पक्षियों के लिए बार कोड बनाया है। इससे चिडिय़ाघर में मौजूद विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी। विश्वविद्यालय में एनवायरनमेंट साइंस के प्रोफेसर हरेन्दर शर्मा और उनके छात्र विकास ने इसे 20 सितंबर को तैयार कर लिया था, जिसे अब चिडिय़ाघर में सभी पक्षियों की नेम प्लेट के साथ लगा दिया गया है। इस बार कोड को बनाने में करीब 20 दिन का समय लगा।
विकास पाराशर के मुताबिक बार कोड को गूगल द्वारा स्कैन कर पक्षियों की प्रजाति, उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उनके ऊपर चल रही रिसर्च के बारे में जाना जा सकेगा। पक्षी अभी किस अवस्था में रह रहा है, उसे कौन सी बीमारी है, इसके बारे में भी बार कोड की सहायता से जाना जा सकेगा। बार कोड में नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल, चिडिय़ाघर प्रभारी गौरव परिहार, श्रद्धा शर्मा और रिसर्च स्कॉलर डॉ. अमिता यादव ने भी सहायता की है। विकास इससे पहले वृक्षों के लिए भी बार कोड बना चुके हैं। इसके बाद उन्होंने पक्षियों के लिए बार कोड बनाने का सोचा। चिडिय़ाघर में करीब 80 बार कोड लगाए गए हैं।


प्रदेश में पहली बार बनाया गया
पहले पक्षियों की प्रजाति के बारे में जानने के लिए पर्यटकों को नेम प्लेटों का सहारा लेना पड़ता था, जिसमें विस्तृत जानकारी नहीं होती थी और काफी खर्च भी आता था। अभी जो बार कोड बनाए गए हैं, वे काफी सस्ते हैं। इनकी सहायता से पक्षियों की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। मेरे ख्याल से ये प्रदेश में पक्षियों के लिए बनाई गई पहली ऐसी तकनीक है।

हरेन्दर शर्मा, प्रोफेसर एनवायरनमेंट साइंस


एक लाख रुपए आई लागत
हमारा फोकस ग्वालियर के चिडिय़ाघर को मॉडर्न कराने पर था, ताकि पर्यटक यहां आधुनिक चीजों को देख आकर्षित हों। वृक्षों और पक्षियों के लिए लगाए गए बार कोड के लिए नगर निगम की तरफ से टेंडर जारी किया गया, जिसमें एक लाख रुपए की लागत आई है।
किशोर कान्याल, नगर निगम आयुक्त

Published on:
27 Sept 2022 06:52 pm
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