शासन के आदेश के बाद बुधवार को शा.वीआरजी कॉलेज में राम दीक्षित जब ज्वॉइनिंग करने के लिए प्राचार्या सुशीला माहौर के पास गए तो उन्होंने मप्र शासन का एक लाख रुपया जमा करने का नियम बता दिया। इसके बाद राम दीक्षित उल्टे पैर वापस लौट आए। इतना ही नहीं, शहर के लीड साइंस कॉलेज, एमएलबी कॉलेज, केआरजी कॉलेज, एसएलपी कॉलेज में अभी तक किसी नामित सदस्य ने जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर ज्वॉइनिंग करने के लिए अभी तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है। यह हाल सिर्फ ग्वालियर चंबल संभाग का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का है। शासन द्वारा घोषित लिस्ट में अभी तक मात्र पांच फीसदी लोगों ने जोइनिंग ली है, लेकिन नए नियमों के उजागर होने से उनके लिए एक लाख रुपए जमा कराने का संकट पैदा हो गया है।
शासकीय और स्वशासी कॉलेजों में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर चयन के लिए नियमों में ३० अक्टूबर १९९६ के बाद २० फरवरी २०१५ को नया संशोधन किया गया। जिसके अनुसार इस पद पर सिर्फ ग्रेजुएट व्यक्ति ही रह सकता है। बाकी एक लाख रुपए जमा कराने का नियम पूर्व के अनुसार ही रखा गया। पूर्व में किसी को जानकारी न होने से व्यवस्थाएं चलती रहीं, लेकिन इस बार अचानक नियम के प्रकाश में आ जाने से यह चर्चा का विषय बन गया है।
एक लाख रुपए जमा कराने का नियम शासन के गजट नोटिफिकेशन में है। हमने कॉलेजों में शासन के नियमानुसार ही जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर ज्वॉइनिंग कराने के निर्देश सभी कॉलेज प्राचार्यों को दिए हैं।
सरोज मोदी, अतिरिक्त संचालक, उच्चशिक्षा विभाग
नियम से अवगत कराया
हमारे यहां राम दीक्षित ज्वॉइन करने के लिए आए थे, मैंने उन्हें शासन के एक लाख रुपए जमा कराने के नियम से अवगत कराया। वे बिना ज्वॉइन किए चले गए।
सुशीला माहौर, प्राचार्य, वीआरजी कॉलेज, मुरार