इस बार होलाष्टक के दौरान वर्षों बाद सवार्थ सिद्धि व रवि योग का संयोग बनेगा। साथ ही दो बार पुष्य नक्षत्र का पुनरावृति होगी, जिसमें शुक्र व शनि पुष्य का संयोग रहेगा। अलग-अलग स्थानों की मान्यता व कुछ जगहों पर परंपरा के अनुसार होलिका का दहन होता है। कुछ स्थानों पर प्रदोष काल के बाद, तो कई जगह मध्य रात्रि व ब्रह्म मुहूर्त में दहन के आयोजन होते हैं।