वीर सावरकर पर किताब लिखने वाले सूचना आयुक्त उदय माहुरकर उद्धव लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान कार्यक्रम में शामिल होने रविवार को ग्वालियर आए थे. इस मौके पर उन्होंने कहा— वीर सावरकर द्वारा अंग्रेजों से माफी मांगने की बात सरासर गलत है. यह विभाजनकारी मानसिकता के लोगों द्वारा फैलाया गया झूठ है.
सावरकर ही वह व्यक्ति थे जो देश के विभाजन को रोक सकते थे. सावरकर ने तमाम समस्याओं का पहले ही संकेत दिया था तो विभाजन का विरोध करने के साथ ही इसे लेकर आशंका भी जता दी थी. उन्होंने कहा, सावरकर देश में विभाजनकारी ताकतों के विरोधी थे. उनके द्वारा सावरकर पर पुस्तक भी देश का दूसरा विभाजन रोकने के नजरिए से ही लिखी गई है.
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देश के पुन: विभाजन को महसूस करने पर उन्होंने कहा, विभाजनकारी शक्तियों के चलते इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर उन्होंने कहा, सावरकर को भारत रत्न मिले तो भी ठीक है और अगर नहीं मिलता तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता. सावरकर का व्यक्तित्व किसी भी पुरस्कार या सम्मान से अलग था. व्यक्तित्व का आकलन केवल भारत रत्न के नजरिए से नहीं किया जा सकता.